Maharashtra elections 2019: महाराष्ट्र में अपनी सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना से भाजपा ने नाता तोड़ लिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर हुई सियासी रस्साकशी के बाद शिवसेना ने बीजेपी से दूरियां बना ली। संभवतः शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ने वाली दोनों पार्टियों ने इस बार सीट बंटवारे के मुद्दे को आराम से सुलझा लिया था लेकिन रिजल्ट के बाद दोनों पार्टी की बनती नजर नहीं आई।
इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली कॉन्फिडेंशिल में छपी एक खबर के मुताबिक केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साल 1990 के एक वाक्ये को याद किया जब सीट बंटवारे के लिए शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने भाजपा नेताओं को बुलाया। जावड़ेकर के अलावा दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन भी ठाकरे से मिलने पहुंचे।
बातचीत में ठाकरे ने भाजपा नेताओं से कहा कि प्रदेश की कुल 288 सीटों में से भाजपा को 88 सीटें देंगे और आगे कोई बहस नहीं होगी और ना ही सौदेबाजी। महाजन और जावड़ेकर ने तब अन्य नेताओं के साथ बैठकर 88 निर्वाचन क्षेत्रों की एक लिस्ट तैयार की जहां भाजपा मजबूत है। जावड़ेकर ने बताया कि ठाकरे भाजपा द्वारा दी गई लिस्ट से सहमत हुए और भाजपा को उन सीटों में 85 सीटों पर जीत मिली थी।
उल्लेखनीय है कि शिवसेन नेता बार-बार कहते रहे है कि प्रदेश की राजनीति में वो एक बड़े भाई की भूमिका में हैं। हालांकि पूर्व में ऐसा प्रतीत भी हुआ। दरअसल दिग्गज भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी शिवसेना से कहते थे कि ‘शिवसेना राम हैं और हम लक्ष्मण।’
मगर साल 2019 के विधासनभा चुनाव में समीकरण बदलते हुए नजर आए और खुद को बड़े भाई की भूमिका में बताने वाली शिवसेना छोटे भाई की भूमिका में आ गई। इसकी शुरुआत 2009 में हुई जब भाजपा ने कम सीटों पर चुनाव लड़कर अधिक संसदीय सीटें जीतीं और उसी वक्त से भाजपा हावी हो गई।

