महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी की करारी हार हुई है। शिवसेना (UBT) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के लिए विधानसभा चुनाव के नतीजे बड़ा झटका हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी को महाराष्ट्र में केवल 20 सीटों पर जीत मिली। अगर नतीजे का विश्लेषण करें तो अप्रत्यक्ष रूप से राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को 10 सीटों पर फायदा पहुंचाया और जीत मिल गई। 10 सीटों में 8 सीटें मुंबई और 2 सीटें अन्य जगहों की हैं।
राज ठाकरे ने बचाई उद्धव की लाज
अगर ऐसा नहीं होता तो उद्धव की पार्टी को केवल 10 सीटों पर ही सिमट जाती। राज्य की माहिम, वर्ली, विक्रोली, जोगेश्वरी ईस्ट, दिंडोशी, वर्सोवा, कलीना, वांद्रे ईस्ट, वानी और गुहागर विधानसभा सीट पर शिवसेना उद्धव ठाकरे की जीत हुई है। हालांकि इन सीटों पर MNS का वोट शेयर शिवसेना UBT के जीत के अंतर से अधिक है। ऐसे में एमएनएस ने यहां पर महायुति गठबंधन को नुकसान पहुंचाया और इससे शिवसेना UBT को फायदा हुआ।
टेबल में जानें कि कैसे MNS ने उद्धव की पार्टी को पहुंचाया फायदा
सीट का नाम | शिवसेना UBT की जीत का अंतर | MNS द्वारा प्राप्त वोट |
माहिम | 1,316 | 33,062 |
वर्ली | 8,801 | 19,367 |
विक्रोली | 15,526 | 16,813 |
जोगेश्वरी ईस्ट | 1,541 | 64,239 |
दिंडोशी | 6,182 | 20,309 |
वर्सोवा | 1,600 | 6,752 |
कलीना | 5,008 | 6,062 |
वांद्रे ईस्ट | 11,365 | 16,074 |
वानी | 15,560 | 21,977 |
गुहागर | 2,830 | 6,712 |
बता दें कि महायुति गठबंधन को महाराष्ट्र में 234 सीटों पर जीत मिली है जबकि महाविकास आघाड़ी को केवल 50 सीटों पर जीत मिली है। महायुती में शामिल बीजेपी को 132, शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है।
संजय राउत ने हार के लिए चंद्रचूड़ को ठहराया जिम्मेदार
शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने महाविकास आघाड़ी की हार के पीछे पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को जिम्मेदार ठहराया है। चंद्रचूड़ पर बड़ा आरोप लगाते हुए संजय राउत ने कहा, “जो नतीजे आए, उसके लिए जिम्मेदार केवल पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ हैं। उन्होंने समय पर अपना निर्णय नहीं दिया। 40 लोगों ने बेईमानी की थी। जिस पार्टी से चुनकर आए थे, वह जाकर दूसरी पार्टी की सत्ता में चले गए। आपकी जिम्मेदारी है संविधान की रक्षा करना। आपने अगर निर्णय दिया होता तो आगे कोई हिम्मत नहीं करता। आप खिड़की दरवाजे खुले रखकर वहां से रिटायर हो गए। इतिहास चंद्रचूड़ साहब को कभी माफ नहीं करेगा।”