महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार इस महीने के आखिर में किए जाने वाले मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये जहां गठबंधन के दलों को संतुष्ट करना चाहती है, वहीं अपने कुछ महत्त्वाकांक्षी मंत्रियों के पर कतरने की कवायद भी कर सकती है। जिन मंत्रियों के विभागों में कटौती की संभावना है उनमें राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से, महिला और बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के नाम सबसे ऊपर हैं।
भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना के गठबंधन से चल रही फडणवीस सरकार में इस समय 30 मंत्री हैं जिनमें 20 भाजपा के और 10 शिव सेना के हैं। फडणवीस 42 मंत्रियों के साथ सरकार चला सकते हैं। फडणवीस सरकार बीते साल भर से घटक दलों को विस्तार के बहाने बहलाती आ रही थी और घटक दल बार-बार गठबंधन से बाहर होने का एलान करते रहे थे। मगर बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा अब गठबंधन के दलों की उपेक्षा करने की स्थिति में नहीं है। लिहाजा महीने के अंत में, संभवतया 27 नवंबर को, मंत्रिमंडल विस्तार लगभग तय हो गया है।
जिन मंत्रियों के पास विभागों का बोझ बढ़ गया है, उन्हें कम करने की कवायद भी फडणवीस कर सकते हैं। एकनाथ खड़से इस समय राजस्व के अलावा कृषि, अल्पसंख्यक, वक्फ बोर्ड, पशु संवर्धन, दुग्ध विकास, मत्स्य संवर्धन, उत्पादन शुल्क जैसे आठ विभागों का कामकाज देख रहे हैं। स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के पास उच्च शिक्षा, चिकित्सा और तकनीकी शिक्षा के अलावा सांस्कृतिक कार्य और मराठी भाषा संवर्धन का अतिरिक्त प्रभार है। महिला और बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ग्रामीण विकास, जल संसाधान जैसे मंत्रालयों का काम भी देख रही हैं। महिला और बाल कल्याण विभाग मुंडे के हाथ से निकलने की संभावना है, तो खड़से का कृषि विभाग कम किया जा सकता है।
खड़से, तावड़े और मुंडे का नाम संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर खूब चला था। पंकजा मुंडे ने तो घोषणा ही कर दी थी कि सूबे की जनता उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहती है। खड़से खुली बगावत पर उतारू होकर रूठ गए थे और उन्हें बड़ी मुश्किल से मनाया गया था। तावड़े के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा ज्यादा नहीं थी, मगर दौड़ में उन्हें भी शामिल माना जा रहा था। इनमें से चिक्की मामले में मुंडे और जाली डिग्री मामले में उलझने के बाद तावड़े के तेवर ठंडे हो चुके हैं। हालांकि खुद फडणवीस के पास ढेर सारे विभाग हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपने कुछ विभाग भी विस्तार के दौरान कम कर सकते हैं। फडणवीस के पास इस समय गृह, विधि और न्याय व पर्यटन समेत कई वे विभाग हैं जिनका बंटवारा नहीं हुआ था।
हालांकि विस्तार में गठबंधन के दलों को संतुष्ट करना फडणवीस के लिए टेढ़ी खीर होगा। विस्तार में शिव सेना को दो मंत्रिपद दिए जाने हैं। मगर शिव सेना की मांग कोटे के दो राज्य मंत्री और एक कैबिनेट मंत्री पद की है। केंद्र में भाजपा बीते डेढ़ साल से शिव सेना के अनिल देसाई को इंतजार करवा रही है। शिव सेना चाहती है कि केंद्र में चद्रकांत खैरे को भी मंत्री बनाया जाए। मगर भाजपा शिव सेना की मांग को हाशिये पर डालती आ रही है। शिव सेना से विधान परिषद सदस्य नीलम गोर्हे के अलावा जलगांव के विधायक गुलाबराव पाटील, जालना के अर्जुन खोतकर, कोल्हापुर उत्तर के राजेश छीरसागर तथा हातकणंगले के सुजीत मिणचेकर मंत्रिपद के लिए कतार में हैं।
रिपब्लिन पार्टी ऑफ इंडिया (रिपाई) के प्रमुख रामदास आठवले केंद्र में मंत्री पद पाने की आस लगाए बैठे हैं और प्रदेश की राजनीति में नहीं आना चाहते हैं। वह सूबे में अपनी पार्टी के लिए दो मंत्रिपद पाने की चाहत रखते हैं। रिपाई प्रदेशाध्यक्ष भूपेश थुलकर विदर्भ से हैं और रिपाई के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश महातेकर पश्चिम महाराष्ट्र से। दोनों मंत्री बनना चाहते हैं। महातेकर को मंत्री बना कर भाजपा दलित मतों को लुभा सकती है। घटक पक्षों से महादेव जानकर (राष्ट्रीय समाज पक्ष), सदाभाऊ खोत ( स्वाभिमानी संगठन) और विनायक मेटे (शिवसंग्राम) के मंत्री बनने के आसार हैं। आठवले की पत्नी सीमा आठवले का नाम भी मंत्री पद के लिए उछल चुका है, जिस पर पार्टी में बगावत के आसार बन गए थे।