Maharashtra Deputy CM Eknath Shinde: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हाल ही में नई दिल्ली आए थे। यहां उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसे लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बीते कुछ दिनों में महाराष्ट्र में कुछ बड़ी घटनाएं हुई। पहले इन पर नजर डालते हैं और उसके बाद शिंदे के दिल्ली दौरे का विश्लेषण करेंगे।
उद्धव और राज का साथ आना
हाल ही में महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर आए। माना जा रहा है कि शिंदे ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान तमाम अन्य बातों के साथ ही ठाकरे गठबंधन से जुड़ी चर्चाओं को भी रखा है। इसके बाद शिंदे की पार्टी के नेता और राज्य सरकार में मंत्री संजय शिरसाट को आयकर विभाग की ओर से नोटिस मिला।
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संजय शिरसाट का एक वीडियो भी सामने आया जिसे लेकर कहा गया कि वह अपने घर में पैसों से भरे एक बैग के साथ दिखाई दिए हैं हालांकि शिरसाट ने कहा कि उनके बैग में सिर्फ कपड़े थे। शिंदे गुट के ही विधायक संजय गायकवाड़ के द्वारा मुंबई के एमएलए हॉस्टल में कैंटीन के कर्मचारियों के साथ मारपीट का मामला भी इन दिनों चर्चा में है।
विपक्ष बोला- शिंदे का असर कम करने की कोशिश
विपक्ष का कहना है कि एकनाथ शिंदे का दिल्ली दौरा बताता है कि महायुति सरकार के अंदर जबरदस्त लड़ाई-झगड़ा चल रहा है। NCP (शरद पवार) के विधायक रोहित पवार ने कहा, ‘शिंदे की पार्टी के कुछ नेताओं को आयकर विभाग की ओर से नोटिस मिले हैं और शिंदे को शायद कोई आंतरिक साजिश होने का डर हो सकता है।’
रोहित पवार ने सवाल उठाया कि अजित पवार की पार्टी के लोगों को कोई नोटिस नहीं दिया जाता लेकिन शिंदे की पार्टी के लोगों को नोटिस मिलते हैं और यह बात काफी अजीब है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि बीजेपी मुंबई नगर निगम के चुनाव से पहले शिंदे का असर कम करना चाहती है।
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याद दिलाना होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे ने मुख्यमंत्री पद के लिए जिद की थी और बहुत मुश्किल से वह उपमुख्यमंत्री बनने के लिए राजी हुए थे।
क्या दबाव में हैं शिंदे?
इन सब बातों को लेकर न सिर्फ एकनाथ शिंदे की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं बल्कि यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या पार्टी में उनकी पकड़ कमजोर हो रही है। सवाल यह भी है कि क्या एकनाथ शिंदे किसी दबाव में हैं?
उद्धव और राज ठाकरे के साथ आने से कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं विशेषकर मराठी भाषी मतदाताओं के मामले में। राज्य की राजनीति में ऐसी चर्चा है कि एकनाथ शिंदे को हाशिये पर धकेला जा रहा है। ऐसे में उनके दिल्ली दौरे को को राजनीतिक गलियारों में एक रणनीतिक कदम और शिवसेना को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है।
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