महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर अब तक सस्पेंस बरकरार है। एक तरफ शिवसेना मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है तो दूसरी तरफ 105 सीट जीतने वाली बीजेपी इस पद को किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहती। बीजेपी-शिवसेना ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और 161 सीटें जीती हैं। इनमें शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई हैं। मीडिया में जारी खबरों की मानें तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस किसी भी सूरत में सीएम की दावेदारी से पीछे नहीं हटेंगे।
कहा जा रहा है कि सीएम ने साफ संकेत दिए हैं कि वह शिवसेना की मांग को नहीं मानेगी। अगर शिवसेना 50:50 फॉर्मूले के तहत पहले ढाई साल के लिए अपना सीएम बनाने की मांग पर अड़ी रहेगी तो अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
घोषित हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में सत्तारूढ़ भाजपा को 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास 122 सीटें हैं। इस घटनाक्रम से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी कड़ी सौदेबाजी कर सकती है। हालांकि, शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 के 63 की तुलना में घट कर 56 हो गई है।
वहीं यह बताया जा रहा है कि साल 1995 और 1999 की तरह ही दोनों दलों के बीच विभागों का बंटवारा हो सकता है। 1995 और 1999 में बीजेपी-शिवसेना सत्ता में थी तो कई अहम मंत्रालयों को शिवसेना को सौंपा गया था। शिवसेना की नजरें 24 साल पुराने मॉडल पर है।
बता दें कि महाराष्ट्र में पहली बार बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार 1995 में बनी थी और मुख्यमंत्री का ताज शिवसेना के मनोहर जोशी के सर सजा था। चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना बीजेपी के खिलाफ आक्रमक दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवसेना किसी भी हाल में आसानी से मानने वाली है। वहीं इस मॉडल पर बीजेपी की तरफ से सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि उस समय जो परिस्थितियां थीं वह आज नहीं है। उस समय शिवसेना के पास 73 तो बीजेपी के पास 65 सीटें थीं। लेकिन अब बीजेपी के पास 105 तो शिवसेना के पास 56 सीटें हैं। सीटों का अंतर दोगुना है। ऐसे में पुराने मॉडल को लागू नहीं किया जा सकता।