महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेकर एक बड़ी खबर आई है। फडणवीस गढ़चिरौली के गार्जियन मिनिस्टर के रूप में काम जारी रखने का निर्णय लिया है। इस बयान नक्सल क्षेत्र सुर्खियों में है। इससे संकेत मिलता है कि महायुति सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में इस क्षेत्र के विकास पर जोर दे सकती है।
1982 में जिला घोषित हुआ गढ़चिरौली
1982 में महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में चंद्रपुर जिले को विभाजित करके बनाया गया गढ़चिरौली जिला राज्य के क्षेत्रफल का 4.68 प्रतिशत है। इस जिले में 12 तहसीलें हैं जिसमें गढ़चिरौली, आरमोरी, चामोर्शी, मुलचेरी, अहेरी, एट्टापल्ली, भामरागढ़, देसाईगंग, धनोरा, कुखेड़ और कोरची है। इसका 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वन क्षेत्र में है। हालांकि यह आदिवासी क्षेत्र भारत के रेड कॉरिडोर का हिस्सा है और पिछले सात दशकों से यहां नक्सली गतिविधियां तेज रही हैं। लेकिन यह खदानों और खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र भी है।
फडणवीस ने खुद की घोषणा
पिछले हफ्ते नागपुर में आयोजित मीडिया से बातचीत के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मेरी इच्छा गढ़चिरौली के गार्जियन मिनिस्टर के रूप में कार्यभार संभालने की है। हम गढ़चिरौली को भारत का अगला स्टील हब बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसमें प्रचुर संसाधनों के साथ अपार संभावनाएं हैं। देश के लौह और इस्पात का 30 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी क्षेत्र में होगा। यह समग्र विकास और रोजगार के द्वार खोलेगा।”
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब तीन दलों के नेतृत्व वाली महायुति ने अभी तक राज्य के सभी 36 जिलों के लिए संरक्षक मंत्री नियुक्त नहीं किए हैं। 42 मंत्रियों (फडणवीस और दो उपमुख्यमंत्रियों सहित) और 36 जिलों के साथ, भाजपा, शिवसेना और एनसीपी जिलों के आवंटन को लेकर असमंजस में हैं।
पहले अधिकारियों के लिए सजा की जगह मानी जाती थी गढ़चिरौली
पहले, गढ़चिरौली को पुलिस अधिकारियों के लिए सजा के तौर पर देखा जाता था। सत्ता में रहने वाली सरकारें भी जिले की जिम्मेदारी उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वालों को सौंपती थीं। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता रहे स्वर्गीय आर आर पाटिल ने गढ़चिरौली के संरक्षक मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने का साहसिक निर्णय लिया था। सांगली जिले से ताल्लुक रखने वाले आरआर पाटिल ने 1999 से 2014 के बीच यह जिम्मेदारी संभाली थी। कांग्रेस-एनसीपी शासन के दौरान गृह मंत्री के रूप में आरआर पाटिल ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये के विशेष प्रोत्साहन पैकेज को आगे बढ़ाया था।
फडणवीस के नेतृत्व में महायुति सरकार बेरोजगारी से त्रस्त आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए बड़े निवेश परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की संभावना है। फडणवीस ने कहा, “जिले में नक्सलवाद अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। प्रमुख नक्सली संचालकों पर या तो घात लगाकर हमला किया गया है या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है। अगले तीन वर्षों में, हमारा इरादा गढ़चिरौली को नक्सल मुक्त बनाने का है।”
गढ़चिरौली में 50 हजार करोड़ से अधिक का निवेश
फडणवीस के अनुसार इस क्षेत्र में पहले ही 50,000 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है और लॉयड मेटल्स, आर्सेलर मित्तल और निप्पॉन स्टील जैसी कंपनियों ने इस जिले में निवेश किया है। आम तौर पर मुख्यमंत्री किसी जिले के संरक्षक नहीं होते। लेकिन फडणवीस ने पिछली एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में जिस जिले का प्रभार संभाला था, उसे अपने पास रखने की इच्छा जाहिर की है, इसलिए उन्हें अपनी राह मिल सकती है। पढ़ें देवेंद्र फडणवीस को जब बच्चे ने सुनाई हनुमान चालीसा, तो क्यों ठहाका लगा हंस पड़े CM