Devendra Fadnavis Oath Ceremony: भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को मुंबई के आज़ाद मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में दो उपमुख्यमंत्रियों, शिवसेना के एकनाथ शिंदे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। भीड़ से खचाखच भरे मैदान में शपथग्रहण समारोह के लिए बने मंच पर जब वे चढ़े तो समर्थकों ने उत्साहित होकर नारे लगाए। देवेंद्र फडणवीस ने इस दौरान उपस्थित लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।

देवेंद्र फडणवीस ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा का आभार व्यक्त किया। राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन समेत अन्य अतिथियों ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बधाई और शुभकामनाएं दीं।

देवेंद्र फडणवीस विधानसभा में बहुमत हासिल करने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। 7 दिसंबर विधानसभा विशेष सत्र आहूत होगा। शपथग्रहण के ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए पूरे राज्य से भारी संख्या में लोग आजाद मैदान पहुंचे थे। इसके लिए यातायात की खास व्यवस्था की गई थी। शपथग्रहण समारोह आरंभ होने के दो घंटे पहले ही पूरा मैदान भर गया था।

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मैदान के बाहर भी इतनी भीड़ एकत्रित थी। लोग अपने प्रिय नेता की एक झलक पाने को उतावले दिखे। इस दौरान यातायात व्यवस्था संभाल रहे सुरक्षाकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद आजाद मैदान के आसपास घंटों जाम लगा रहा।

देवेंद्र फडणवीस का शपथग्रहण समारोह इस मायने में ऐतिहासिक था कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई राजनीतिक हस्तियों ने शिरकत की। एनडीए और महायुति नेताओं का इस दौरान बड़ा जमावडा हुआ। समारोह में एनडीए की ताकत और महायुति की एकजुटता नजर आई।

ये दिग्गज रहे मौजूद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे, एनसीपी चीफ अजित पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कुमार मंगलम बिड़ला, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, शाहरूख खान, सलमान खान, रामदास अठावले, निर्मला सीतारमण, गौतम अडानी, रणवीर कपूर, सचिन तेंदुलकर, अंजलि तेंदुलकर, अमृता फडणवीस, नवनीत राणा, नीतिन गडकरी, शिवराद सिंह चौहान,ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई दिग्गज हस्तियां मौजूद रहीं। इसके अलावा बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे। वहीं कई बीजेपी सांसदों और विधायकों ने भी अपनी उपस्थित दर्ज कराई। शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंच पर मौजूद सभी नेताओं से मुलाकात कर अभिवादन किया।

फडणवीस ने की गोमाता की सेवा, तिलक लगाकर पूजा की

महाराष्ट्र के मनोनीत मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शपथ ग्रहण से पहले अपने आवास पर गोमाता की पूजा की। उन्होंने तिलक लगाकर गोधन का अभिनंदन किया। इसके बाद वह श्री सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने मुंबादेवी के भी दर्शन किए। इस दौरान फडणवीस ने कहा कि मुंबादेवी के दर्शन और आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं। मुंबई और महाराष्ट्र की खुशहाली और विकास के लिए उनके चरणों में प्रार्थना की।

देवेंद्र फडणवीस के बारे में जानिए?

देवेंद्र फडणवीस का जन्म 22 जुलाई, 1970 को नागपुर में हुआ था। फडणवीस न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बल्कि बीजेपी की मातृ संस्था कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं के भी चहेते माने जाते हैं। फडणवीस नागपुर साउथ-वेस्ट सीट से लगातार 6 बार जीत हासिल कर चुके हैं। इससे पता चलता है कि वह अपने इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं।

फडणवीस के पिता संघ के प्रचारक थे

फडणवीस के बारे में कहा जाता है जब इंदिरा गांधी की सरकार ने 1975 में इमरजेंसी लगा दी थी तो उन्होंने इंदिरा कान्वेंट स्कूल में आगे की पढ़ाई करने से इनकार कर दिया और अपना नाम वहां से कटवा लिया क्योंकि उनके पिता को इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल के विरोध के दौरान जेल में डाल दिया था। इसके बाद उन्होंने सरस्वती विद्यालय में दाखिला लिया और आगे की पढ़ाई की। देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव आरएसएस के प्रचारक और जनसंघ के नेता थे।

फडणवीस स्कूल के दिनों से ही राजनीति में जाना चाहते थे। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही बीजेपी संगठन में वार्ड संयोजक के रूप में फडणवीस ने काम किया। 22 साल की उम्र में ही वह नागपुर में पार्षद बन गए थे। फडणवीस 1997 में सिर्फ 27 साल की उम्र में नागपुर के सबसे युवा मेयर बन गए थे।

फडणवीस 1999 में पहली बार बने विधायक

फडणवीस 1999 में पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए। अपनी राजनीतिक समझ और कामकाज के तरीके के बलबूते फडणवीस बहुत कम समय में राज्य में बीजेपी के बड़े चेहरे बन गए। फडणवीस की क्षमताओं को देखते हुए ही बीजेपी ने उन्हें 2013 में प्रदेश का अध्यक्ष बनाया।

2014 में बीजेपी को महाराष्ट्र में बड़ी जीत मिली थी तब पार्टी ने 122 सीटें जीती थी। इस शानदार प्रदर्शन के बाद मोदी और शाह ने फडणवीस का कद बढ़ाया और उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया। देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता रानाडे फडणवीस अभिनेत्री होने के साथ-साथ गायिका भी हैं। उनकी एक बेटी है जिसका नाम दिविजा फडणवीस है।

फडणवीस ने विपक्ष में रहते हुए सिंचाई घोटाले को उजागर किया। उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में बुनियादी ढांचे को लेकर काफी काम हुआ। उनकी सरकार में शुरू की गई जल युक्त शिवार जैसी पहल ने राज्य में जल प्रबंधन के क्षेत्र में बहुत काम किया। मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग जैसी बड़ी परियोजना के साथ ही पुलिस सुधारों की शुरुआत करने के लिए भी फडणवीस को जाना जाता है।

फडणवीस 44 साल की उम्र में ही पहली बार महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे। वह शरद पवार के बाद इस राज्य के दूसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री थे।

देवेंद्र फडणवीस ने हिंदू मतदाताओं को किया एकजुट

फडणवीस ने अपने पहले कार्यकाल में महाराष्ट्र की कठिन राजनीति की चुनौतियों को बेहद संयम के साथ हल किया और इस बार विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बीजेपी संगठन और आरएसएस के नेताओं के साथ मिलकर काम किया। फडणवीस ने पूरे महाराष्ट्र में हिंदू मतदाताओं को एकजुट किया। उन्होंने मतदाताओं से वोट जिहाद के बदले वोट धर्म युद्ध करने का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ को भी महाराष्ट्र में लोगों के बीच पहुंचाया।

ऑटो रिक्शा चलाने से लेकर शिंदे का मुख्यमंत्री बनने तक का सफर

पिछले ढाई साल से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शासन करने के बाद शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को देवेंद्र फडणवीस की नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनना पड़ा। शिंदे की यह नई कहानी जून, 2022 की तुलना में उलट थी, जब शिंदे की बगावत से उद्धव की सरकार गिर गई थी, क्योंकि शिंदे ने 40 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी से नाता तोड़ लिया। जिसके कारण महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई और महायुति सत्ता में आ गई। ऐसा तभी हो सका जब भाजपा नेतृत्व ने शिंदे को सीएम बनाने की शिवसेना की मांग को स्वीकार कर लिया और पूर्व सीएम फडणवीस को डिप्टी सीएम बनने के लिए मजबूर कर दिया। यह तब हुआ जब भाजपा 105 विधायकों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी।

उस समय, यह माना जा रहा था कि शिंदे फडणवीस के बाद दूसरे स्थान पर रहेंगे, जो एक अधिक अनुभवी प्रशासक हैं और फैसले लेते हैं। लेकिन शिंदे ने सरकार चलाने के दौरान खुद को संभाले रखा और अपनी पार्टी की स्थिति को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए तैयार हो गए। हालांकि गठबंधन को लोकसभा चुनावों में कुल मिलाकर झटका लगा। महायुति की संख्या केवल 17 थी, जो एमवीए की 30 सीटों से काफी पीछे थी। शिंदे अपनी पार्टी के 15 सीटों में से सात सीटों पर जीत के कारण मजबूत होकर उभरे। यह भाजपा की तुलना में बेहतर स्ट्राइक रेट था, जिसने 28 सीटों में से नौ सीटें जीती थीं। इस प्रदर्शन के साथ शिवसेना तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भाजपा की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी बन गई।

शिंदे के मुख्य योजनाएं

अनुभवी वक्ता या प्रशासक न होने के बावजूद शिंदे न केवल सरकार को कुशलतापूर्वक चलाने में कामयाब रहे, बल्कि गठबंधन में अपने प्रतिद्वंद्वियों को भी कमज़ोर किया और एमवीए को नियंत्रण में रखा। उनके पार्टी सहयोगियों और अन्य महायुति नेताओं ने कहा कि सरकार की लोकलुभावन योजनाओं – जिनमें महिला मतदाताओं के लिए माझी लड़की बहन योजना, युवा पुरुषों के लिए लड़का भाऊ योजना, और कृषि ऋण माफ़ी, बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा, विभिन्न विभागों और विधायकों के लिए धन की उदार रिहाई, और विभिन्न समुदायों के लिए 50 से अधिक निगमों की स्थापना ने गठबंधन को बढ़त दिलाई।

शिंदे का राजनीतिक सफर

शिंदे के लिए काम करने वाली चीजों में से एक है शासन के प्रति उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और वंचितों की कहानी। शिंदे का जन्म पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक किसान परिवार में हुआ था। वे बेहतर जीवन की तलाश में ठाणे चले गए और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए ऑटोरिक्शा चलाना शुरू कर दिया। वे एक मजदूर नेता बन गए और 1980 के दशक में पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे की भूमिपुत्र राजनीति से प्रभावित होकर शिवसेना में शामिल हो गए। राजनीति में उनका प्रवेश उनके गुरु और उस समय ठाणे में शिवसेना के शीर्ष नेता आनंद दीघे के हाथों हुआ।

1997 में शिंदे ठाणे नगर निगम में पार्षद चुने गए, जो उनके शानदार उदय की शुरुआत थी। सात साल बाद, वे पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए और अगले साल उन्हें ठाणे में पार्टी प्रमुख नियुक्त किया गया। चार बार विधायक के रूप में कार्य करते हुए, शिंदे ने फडणवीस और उद्धव ठाकरे सरकारों में लोक निर्माण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शहरी विकास और गृह मामलों जैसे विभिन्न विभागों के मंत्री के रूप में कार्य किया।

शिवसेना नेताओं ने कहा कि शिंदे ने बाल ठाकरे द्वारा दिए गए हिंदुत्व के संदेश को आत्मसात कर लिया और कहीं न कहीं उद्धव के भाजपा से नाता तोड़ने और चिर प्रतिद्वंद्वी एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के फैसले ने उन्हें परेशान कर दिया और अंततः 2022 के विद्रोह का कारण बना।

अजित पवार कब-कब रहे महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम?

अजित पवार के महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री बनने के सफर पर नजर डालें, तो वे पूर्व कांग्रेसी सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यकाल (नवंबर 2010-सितंबर 2012, अक्टूबर 2012-सितंबर 2014) के दौरान दो बार डिप्टी सीएम रहे हैं। इसके अलावा तीसरी बार 2019 में एनडीए की सरकार में डिप्टी सीएम बने, इसके बाद चौथी बार उन्होंने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। पिर अजित पवार ने जुलाई 2023 में पांचवीं बार डिप्टी सीएम बने और अब छठी बार आज देवेंद्र फडणवीस की सरकार में डिप्टी सीएम बने। इस बीच बता दें कि 65 साल के अजित पवार 2019 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली ही सरकार में महज 80 घंटे के लिए डिप्टी सीएम रहे थे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसे कितनी सीटें मिलीं?

बता दें, महायुति में शामिल तीनों दलों ने विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन को चारों खाने चित कर दिया। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र की विधानसभा में महायुति गठबंधन को 230 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी ने अकेले दम पर ही 132 सीटें जीत ली हैं जबकि उसके सहयोगी दलों – एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं। जबकि MVA को भारी झटका लगा। MVA में शामिल शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार गुट) को केवल 10 सीटें मिलीं।

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