महाराष्ट्र में रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार हो गया, जहां 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। 39 में से 33 को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया, वहीं अन्य को राज्य मंत्री बनाया गया। नए मंत्रियों में भाजपा के पास सबसे ज्यादा 19 (16 कैबिनेट और 3 राज्य मंत्री) मंत्री हैं। वहीं, कोल्हापुर जिले के कागल से छह बार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विधायक हसन मुश्रीफ को भी देवेंद्र फडणवीस के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वह इस समय राज्य भाजपा प्रशासन में कैबिनेट रैंक पाने वाले एकमात्र मुस्लिम विधायक हैं।

जिन 13 राज्यों में भाजपा मंत्रिमंडल का नेतृत्व कर रही है, उनमें उत्तर प्रदेश में दानिश अंसारी एकमात्र मुस्लिम सदस्य हैं लेकिन उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है। भाजपा के सहयोगी दलों के नेतृत्व वाले राज्यों में, आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नसीम मोहम्मद फारूक और बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) के ज़मा खान को ही कैबिनेट रैंक प्राप्त है।

1960 से अब तक महाराष्ट्र में 70 मुस्लिम विधायक हुए हैं, जिनमें 36 कैबिनेट रैंक के हैं और 34 राज्य मंत्री हैं। आमतौर पर समुदाय को दो या तीन पद दिए जाते रहे हैं लेकिन 1999 से 2004 के बीच लगातार कांग्रेस सरकारों के दौरान सात मुस्लिम विधायकों को मंत्री बनाया गया।

हसन महाराष्ट्र के पूर्व IGP शमशुद्दीन मुश्रीफ के छोटे भाई हैं

हसन महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) शमशुद्दीन मुश्रीफ के छोटे भाई हैं, जिन्होंने अपनी किताब “हू किल्ड करकरे?” में आरोप लगाया था कि 26/11 के मुंबई हमले खुफिया और सुरक्षा तंत्र के भीतर के लोगों द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा थे, ताकि आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे की जांच को रोका जा सके, जिसमें हिंदू चरमपंथी समूहों द्वारा आतंक फैलाने की कथित संलिप्तता की बात कही गई थी। हमलों में करकरे की मौत हो गई थी।

अजित, मुश्रीफ, मुंडे… ईडी के निशाने पर रहे कई नेताओं को भी मंत्रिमंडल में मिली जगह, एक के घर तो हो चुकी रेड

हसन, पहले भी भाजपा की आलोचना का शिकार रहे हैं जिसने उन पर कोल्हापुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी चीनी मिलों से जुड़े लेन-देन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। हालांकि, जब से उन्होंने अजित पवार का साथ दिया और एनडीए सरकार में शामिल हुए, आलोचनाओं का असर कम हो गया है।

2014 से 2019 के बीच फडणवीस ने अपने मंत्रिमंडल में किसी मुस्लिम विधायक को शामिल नहीं किया था

2014 से 2019 के बीच जब महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना की संयुक्त सरकार थी, तब फडणवीस ने अपने मंत्रिमंडल में किसी भी मुस्लिम विधायक को शामिल नहीं किया था। हालांकि, 2019 के चुनावों के बाद और शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के बाद, सेना के हसन और अब्दुल सत्तार को नई महायुति सरकार में जगह मिली। सत्तार इस बार कैबिनेट में जगह बनाने में विफल रहे, जबकि हसन अपनी जगह बचाने में कामयाब रहे।

राज्य में मुसलमानों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व घट रहा है। समुदाय से सबसे अधिक 13 विधायक 1972, 1980 और 1999 में चुने गए। 1995 के चुनावों में केवल आठ मुस्लिम विधायक जीते, जो राज्य में अब तक का सबसे कम आंकड़ा था, जबकि समुदाय के 10 विधायक, जिनमें एनडीए के तीन – सत्तार, हसन और एनसीपी की सना मलिक शामिल हैं, हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में चुने गए।

महाराष्ट्र की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 11.5%

राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 11.5% है और वे महाराष्ट्र में राजनीतिक प्रतिनिधित्व पाने वाले चंद अल्पसंख्यकों में से हैं। हालांकि 1978 में लियोन डिसूजा के बाद से किसी ईसाई को राज्य में मंत्री पद नहीं मिला है, लेकिन 1993 में मर्ज़बान पात्रावाला पारसी समुदाय से आखिरी मंत्री थे। पढ़ें- महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार से क्या संदेश देना चाहती है महायुति?