आम तौर पर भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों को गोरक्षक माना जाता है। कई बार इसका उदाहरण भी देखने को मिला है लेकिन महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायक और किसान नेता सदाभाऊ खोत ने गोरक्षकों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने बीते रविवार को कहा कि महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2015 किसानों के खिलाफ हैं, क्योंकि इस अधिनियम में गाय, बैल और सांडों के वध को रोकने का प्रावधान है।
दरअसल बीते दिनों पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने गौरक्षकों (स्वयं गौरक्षकों) के बढ़ते खतरे को लेकर राज्य के सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक के बाद बीजेपी विधायक का ये बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उपयोग न होने वाले पशुओं के लिए सरकार को देना चाहिए पैसा
हमारे सहयोगी संस्थान इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए खोत ने कहा, ‘एक बात साफ है। कोई भी किसान उत्पादक गायों को नहीं छोड़ेगा। राज्य के लाखों किसानों का डेयरी एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। इससे होने वाली कमाई अब उन पशुओं की देखभाल पर खर्च हो रही है जिनसे आमदनी नहीं हो सकती है। चूंकि इन पशुओं के स्थानांतरण पर न केवल प्रतिबंध है, बल्कि इन तथाकथित गोरक्षकों से खतरा भी है। यह कानून असल में किसानों के खिलाफ जा रहा है।’
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महाराष्ट्र में गोरक्षकों की गतिविधियों के बारे में खोत ने कहा, ‘ये गोरक्षक किसानों और व्यापारियों से जबरन वसूली करते हैं, जिससे पशुओं का परिवहन पूरी तरह ठप हो जाता है।’ पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली जिले के किसान नेता खोत ने कहा कि एक किसान नेता के रूप में उनका मानना है कि यदि वर्तमान अधिनियम किसानों की आजीविका के लिए खतरा है तो ऐसे में इस अधिनियम को खत्म कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘इस कानून की वजह से देसी गायों का भी भला नहीं हो रहा है क्योंकि उनकी जगह जर्सी गायें आ रही हैं। इन गोरक्षकों के डर से विभिन्न राज्यों से नई नस्लों की गायों का आना पूरी तरह बंद हो गया है। तथाकथित राज्य सरकार द्वारा प्रवर्तित गौशालाओं को बिना उपयोग वाली गायों के लिए किसानों को बाजार के आधार पर मूल्य देना चाहिए और किसानों को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा कि वो अपनी इस बात पर कायम हैं और इसके लिए वो कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं।