महाराष्ट्र में एक जगह ऐसी भी है जहां जल संकट की वजह से 200 लड़के कुंवारें हैं। यही नहीं जल संकट की वजह से युवाओं को रोजगार भी नहीं मिल रहा है। मामला बीड के पटोदा तहसील का है। यहां जल संकट की वजह से दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी को यहां के किसी भी युवक से नहीं ब्याहना चाहते।
लगभग 200 युवक इसी वजह से कुंवारे हैं। इनकी उम्र 25-30 के बीच है। पानी की इतनी भयंकर समस्या है कि लड़की वाले जब यहां के हालातों को देखते हैं तो वह शादी के लिए मना कर देते हैं। वे जब यहां आकर गांव में महिलाओं को पानी के लिए दिनभर जुझते देखते हैं तो बेटी को ब्याहने से साफ इनकार कर देते हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, मानसून की शुरुआती एक महीने की बारिश के बाजूद भी पाटोदा गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। ग्राउंड वाटर सर्वे एंड डेवलपमेंट एजेंसी (जीएसडीए) पुणे के अनुसार, डोमरी गांव उन 77 गांवों में से एक है जहां पानी की कमी तीन मीटर से अधिक है। 1 जून से 11 जुलाई के दौरान पटोदा क्षेत्र में 128.5 मिमी बारिश हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 169.3 मिमी बारिश हुई थी।
गांव में 2.5 एकड़ जमीन के मालिक नितिन भुसनार (34) ने कहा कि वह पिछले डेढ़ साल में खुद के लिए दुल्हन ढूंढ रहे हैं लेकिन अभीतक जीवनसाथी की तलाश पुरी नहीं हो सकी है। उन्होंन कहा “कोई भी अपनी बेटी की शादी इस गांव के किसी व्यक्ति से करने के लिए तैयार नहीं है। लड़की वाले जब यहां आकर देखते हैं कि हमारी माताएं और बहनें पानी लाने के लिए किस तरह संघर्ष करती हैं। यह सब देखने के बाद जब वह चले जाते हैं तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आता।’ उन्होंने आगे बताया ‘एकबार तो लड़की वालों ने सिर्फ इसलिए रिश्ता जोड़ने से मना कर दिया क्योंकि गांव में उनका व्हाट्सएप काम नहीं कर रहा था। क्योंकि गांव में मोबाइल कनेक्टीविटी की बेहतर सुविधा नहीं है।’
वहीं गांव के 29 वर्षीय खेतिहर मजदूर वैभव भूषनार ने शादी होने की सभी उम्मीदें खत्म कर दी हैं। उन्होंने बताया ‘मेरा एक रिश्तेदार भी अपने लिए दुल्हन खोजने में नाकाम रहा और अंत में कुंवारा ही मर गया। मैं बूढ़ा होता जा रहा हूं और शादी की उम्र पार कर चुका हूं।’ अधिकांश ग्रामीण धनगर और मराठा समुदाय के हैं और अपने समुदायों के बाहर शादी नहीं करते हैं।
गांव की डिप्टी सरपंच सुरेखा भुसनार ने कहा “हमारे पास 25-30 आयु वर्ग में हमारे गांव में 200 से अधिक कुंवारे हैं जो दुल्हन खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमने अपने गांव के लिए पानी के टैंकरों को मंजूरी देने के लिए कई बार सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया है; लेकिन स्थाई समाधान की दिशा में कुछ नहीं किया जा रहा है।’ वहीं गांव के बुजुर्गां का का कहना है कि बीते दो सालों में स्थिति काफी खराब हुई है। यहां लगातार सूखे स्थिति बनी हुई है। इस वजह से गांव के ज्यादात्तर युवा रोजगार पाने के लिए पुणे, नासिक और मुंबई जैसे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। गांव के युवा सोचते हैं कि शहर में जाकर नौकरी मिलने पर उनकी शादी हो जाएगी।