Shahi Snan ends in Prayagraj: प्रयागराज महाकुंभ का तीसरा सबसे बड़ा पर्व बसंत पंचमी का अमृत स्नान रविवार 2 फरवरी से शुरू होकर सोमवार 3 फरवरी को पूरा हुआ। हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व दो दिन तक पड़ा, जिसके चलते श्रद्धालुओं ने दोनों दिनों संगम में स्नान किया। सोमवार को अंतिम अमृत स्नान के बाद विभिन्न अखाड़ों के संत और नागा संन्यासी अपने-अपने डेरों की ओर लौटने की तैयारी में जुट गए हैं। अब छह साल बाद 2031 के कुंभ में फिर प्रयागराज आएंगे।

महाकुंभ मेला प्रशासन ने अखाड़ों को स्नान के लिए भोर का समय दिया

महाकुंभ मेला प्रशासन ने अखाड़ों को सोमवार तड़के शाही स्नान के लिए निर्धारित समय प्रदान किया था। इस अवसर पर नागा संन्यासियों और साधु-संतों ने पारंपरिक साज-सज्जा के साथ स्नान किया। वे रथों, हाथियों, ऊंटों और घोड़ों पर सवार होकर संगम तट पहुंचे। उनके साथ तलवारें, गदा और रत्नजड़ित मालाओं की भव्यता देखी गई। स्नान के उपरांत संतों ने अपने शिविरों में पूजा-अर्चना की और प्रयागराज महाकुंभ से प्रस्थान की तैयारियों में जुट गए।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया- अब वाराणसी जाएंगे

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया, “बसंत पंचमी के अवसर पर यह अंतिम शाही स्नान था। इसके बाद हम वाराणसी के लिए प्रस्थान करेंगे। हमें 40 मिनट का समय मिला था। मैं श्रद्धालुओं से आग्रह करता हूं कि वे संगम घाट पर अनावश्यक भीड़ न बढ़ाएं।” उन्होंने बताया कि इस शाही स्नान में लगभग 5000 से 6000 नागा संन्यासी संगम तट पर पहुंचे थे। अखाड़ों की वापसी के लिए प्रशासन ने पहले से ही आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर दी हैं।

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शाही स्नान के दौरान अखाड़े अपने देवताओं की मूर्तियां और प्रतीक चिन्ह लेकर संगम पहुंचे। महामंडलेश्वरों ने रथों पर सवार होकर जुलूस का नेतृत्व किया। जूना अखाड़े के स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा, “आज का दिन विशेष रूप से पवित्र है। हम सुबह 4:30 बजे संगम के लिए निकले। यह देवी सरस्वती का दिन है, जिसका आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है।”

महाकुंभ शिवरात्रि 26 फरवरी तक जारी रहेगा

बसंत पंचमी के शाही स्नान के बाद अखाड़ों के संतों की वापसी शुरू हो चुकी है। विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वर, संत और नागा संन्यासी प्रयागराज से अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो रहे हैं। हालांकि, मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं का आना-जाना अभी भी जारी रहेगा। अखाड़ों के संतों के जाने के बावजूद महाकुंभ 26 फरवरी, शिवरात्रि के दिन तक जारी रहेगा।

सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद

अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर संगम स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। अखाड़ों के जुलूस संगम घाट की ओर बढ़े, जहां नागा संन्यासियों ने पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से स्नान किया। अध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, “इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। मैं आग्रह करता हूं कि पहले बच्चों और बुजुर्गों को स्नान करा दिया जाए ताकि कोई असुविधा न हो।”

बसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 2 फरवरी 2025 को सुबह 9:14 बजे प्रारंभ होकर 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे समाप्त हुई। इस दिन देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माघ मास की शुक्ल पंचमी को मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इसे विद्या और ज्ञान के पर्व के रूप में मनाया जाता है। महाकुंभ के बारे में सभी जानकारियां पाने के लिए यहां पढ़ें।