Mahakumbh Mela 2025: प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। शासन और प्रशासन की ओर से महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। महाकुंभ मेले में शाही स्नान पौष पूर्णिमा से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला है। 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आने का अनुमान है। इससे पहले आखिरी बार  महाकुंभ मेला साल 2013 में आयोजित हुआ था। जिसके बाद प्रयागराज में अर्ध कुंभ 2019 में आयोजित हुआ था।

महाकुंभ के लिए प्रदेश सरकार ने 2600 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस मेले के लिए सुरक्षा, यातायात, भीड़ प्रबंधन से लेकर कई तैयारियां की जा रही है। मेले में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है। वहीं साल 2019 में हुए अर्धकुंभ में करीब 20 करोड़ पहुंचे थे। साल 2025 में जनवरी-फरवरी महीने में आयोजित होने वाले महाकुंभ को लेकर प्रशासन की तैयारी और मेले से जुड़ी सभी जानकारी हम आपको साझा करने वाले है। इस खबर के माध्यम से हम आपको यह बताएंगे।

कब शुरू होगा महाकुंभ?

इस बार महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा। पौष पूर्णिमा से शुरू होकर महाकुंभ 26 फरवरी महाशिवरात्रि के अवसर पर समाप्त होगा। इस दौरान शाही स्नान की करीब 6 तिथियां होंगी।

प्रयागराज में महाकुंभ का है विशेष महत्व

प्रयागराज स्थित संगम किनारे इस मेले का आयोजन किया जाता है। संगम में जहां गंगा और यमुना नदी का साक्षात रूप से संगम होता है। वहीं इस संगम में सरस्वती नदीं का अदृश्य रूप से मिलन होता है। जिस वजह से इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है। वैसे तो अर्धकुंभ प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में भी हर 6 वर्ष पर आयोजित होता है। लेकिन प्रयागराज में आयोजित होने वाले अर्धकुंभ और महाकुंभ की महत्ता ज्यादा मानी जाती है।

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महाकुंभ 2025 – प्रमुख शाही स्नान

महाकुंभ में शाही स्नान नागा साधु, अखाड़े, संत महात्मा और करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए होता है। इस शाही स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। शाही स्नान के रूप में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते है। हर अखाड़ा अपने लाव-लश्कर के साथ संगम तट पर पहुंचे हैं। इस दौरान सभी नाचते गाते संगम तट पर पहुंचते हैं और स्नान करते हैं।  

13 जनवरी : महाकुंभ 2025 से शाही स्नान की शुरुआत होती है। 13 जनवरी को प्रथम शाही स्नान रहेगा। यह स्नान पौष पूर्णिमा के अवसर पर होता है।

14 जनवरी : मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर भी शाही स्नान का भव्य आयोजन किया जाएगा। संक्रांति पर संगम स्नान का कई महत्व माना जाता है।

29 जनवरी : मौनी अमावस्या के अवसर पर शाही स्नान रहेगा। 29 जनवरी के दिन स्नान के साथ दान का भी महत्व माना जाता है।

3 फरवरी : माघ महीने में बसंत पंचमी के मौके पर भी शाही स्नान होना है।

12 फरवरी : माघ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भी शाही स्नान रहेगा।

26 फरवरी : महाशिवरात्रि के मौके पर अंतिम शाही स्नान किया जाएगा। इस स्नान के बाद महाकुंभ मेला अपने समापन की ओर बढ़ चलता है।

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प्रधानमंत्री ऑफिस से होगी निगरानी

महाकुंभ को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार अलग-अलग तैयारियां कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ का जायजा लेने के लिए प्रयागराज का दौरा कर चुके हैं। वहीं केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सीधे निगरानी रखी जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आगामी 13 दिसंबर को पीएम मोदी प्रयागराज आ रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी प्लास्टिक मुक्त महाकुंभ बनाने का आह्वान भी करेंगे।

प्रयागराज के लिए चलेंगी 100 से ज्यादा ट्रेन

मेले में श्रद्धालुओं के लिए 1.5 लाख टॉयलेट्स व यूरिनल्स की व्यवस्था रहेगी। इसके साथ ही 10 हजार से ज्यादा सेनिटेशन वर्कर्स इस पूरे मेले में स्वच्छता का ध्यान रखेंगे। पूरे मेला क्षेत्र में जगह-जगह पर कपड़ा बदलने के लिए चेंजिंग रूम भी बनाया जाएगा।

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मेले को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे की ओर से 100 से ज्यादा मेला स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी। यह ट्रेन देश के कोने-कोने से चलेंगी। इन ट्रेनों की मदद की श्रद्धालु आराम से कुंभ में स्नान कर सकेंगे। ट्रेनों को लेकर प्रयागराज में स्टेशनों को तैयार किया जा रहा है।

कुंभ की पौराणिक मान्यता

कुंभ मेले को लेकर पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है। कथा में बताया गया है कि समुद्र मंथन चल रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप अमृत निकला। समुद्र मंथन से निकलने अमृत के लिए देवताओं और असुरों के बीच  युद्ध छिड़ गया। ऐसा माना जाता है। इसी दौरान अमृत की कुछ बुंदे प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरा। जिस वजह से इन चारों जगहों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है। प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ का महत्व इस वजह से और बढ़ जाता है क्योंकि यह स्नान गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम के तट पर किया जाता है।