मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट कराने पर सुनवाई हुई। मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अदालत बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए उन्हें दो हफ्ते जितना पर्याप्त समय दें। हालांकि, न्यायालय ने पूछा कि क्या स्पीकर बागी विधायकों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मुलाकात पर फैसला ले सकते हैं? इस पर स्पीकर की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे ऐसा नहीं कर सकते।

कोर्ट में जारी बहस के दौरान ही मामले की सुनवाई कर रहे जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और वकील सिंघवी के बीच एक मजेदार वाकया हुआ। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सिंघवी से पूछा कि जब स्पीकर को 22 विधायकों के इस्तीफे मिले, तो उन्होंने 6 इस्तीफे क्यों मंजूर किए? बाकी इस्तीफों के बारे में स्पीकर ने क्या जांच की? इस पर सिंघवी ने कहा “वे (विपक्ष) इस प्रक्रिया को पूरा होने ही नहीं दे रहे। इसके अलावा कोर्ट ने कभी भी ऐसी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं दिया, जहां कामकाज जारी हो।” सिंघवी ने इस दौरान मध्य प्रदेश विधानसभा की नियमावली जज को पढ़ कर सुनाई और पूछा कि कहीं उन्हें हिंदी से परेशानी तो नहीं होगी। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “कतई नहीं, यह एक बेहद सुंदर भाषा है।”

अदालत अध्यक्ष को समय सीमा के तहत निर्देश देने लगेगा, तो यह संवैधानिक समस्या बन जाएगी: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा, “हम बेंगलुरु या कहीं और एक पर्यवेक्षक की नियुक्त भी कर सकते हैं, ताकि बागी विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यक्ष से सम्पर्क कर सकें और उसके बाद वह निर्णय लें।” उसने अध्यक्ष से यह भी पूछा कि क्या बागी विधायकों के इस्तीफा देने के संबंध में कोई जांच की गई और उन्होंने उनके (बागी विधायकों के) संबंध में क्या निर्णय किया है। अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जिस दिन अदालत अध्यक्ष को समय सीमा के तहत निर्देश देने लगेगा, तो यह संवैधानिक समस्या बन जाएगी।

इससे पहले सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को चिट्टी लिखी थी। इस चिट्ठी में सीएम ने लिखा है कि 16 विधायकों को, जिन्हें बंधक बनाकर रखा गया है, पहले उन्हें आजाद किया जाए और उन्हें 5-7 दिनों तक उनके घरों में बिना किसी डर रहने दिया जाए। ताकि वह बिना किसी दबाव के फैसला ले सकें। सीएम ने चिट्ठी में ये भी लिखा कि आपका मानना है कि मुझे मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को फ्लोर टेस्ट कराना चाहिए, वरना यह माना जाएगा कि मेरे पास बहुमत नहीं है, यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। मध्य प्रदेश मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधानसभा स्पीकर, राज्यपाल ऑफिस को नोटिस जारी किया। जिसके बाद बुधवार से इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई। शिवराज सिंह चौहान की तरफ से मुकुल रोहतगी ने पैरवी की।