मध्य प्रदेश में उपचुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ ही नेताओं के विवादास्पद बयान भी सामने आने लगे हैं। पहले कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ के भाजपा नेता इमरती देवी पर की गई टिप्पणी पर विवाद हुआ और इसके बाद राज्य सरकार में मंत्री बिसाहूलाल की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी के लिए आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करने पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। अब शिवराज सरकार की एक और मंत्री ऊषा ठाकुर भी मदरसों पर धार्मिक शिक्षा को लेकर दिए बयानों पर विवादों में आ गई हैं।

क्या कहा ऊषा ठाकुर ने?: भाजपा नेता ऊषा ठाकुर ने इंदौर में एक सभा के दौरान कहा, “विद्यार्थी विद्यार्थी होते हैं। सब की साथ शिक्षा होनी चाहिए। धर्म आधारित शिक्षा कट्टरता पनपा रही है। विद्वेष फैला रही है। सारा कट्टरवाद, सारे आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े हैं। जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बनाकर रख दिया था। ऐसे मदरसे जो राष्ट्रवाद से, समाज की मुख्यधारा से नहीं जोड़ सकते, उन्हें हमें समुचित शिक्षा के साथ जोड़कर समाज को सबकी प्रगति के लिए एक साथ आगे ले जाना है।”

ठाकुर ने उदाहरण देते हुए कहा, “असम में अभी यह कर के दिखा दिया- मदरसे बंद। राष्ट्रवाद में जो भी बाधा डालेगा, ऐसी सभी चीजें राष्ट्रहित में बंद होनी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या देश में मदरसे बंद हो जाने चाहिए? तो इस पर उन्होंने कहा कि शासकीय सहायता बंद होनी चाहिए। वक्फ बोर्ड अपने आप में खुद सक्षम-समर्थ संस्था है। अगर कोई निजी तौर पर धार्मिक संस्कार देना चाहता है, तो हमारा संविधान उसे छूट देता है।”

क्या किया असम सरकार ने?: असम के शिक्षा और वित्त मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने 9 अक्टूबर को ऐलान किया था कि राज्य में सरकारी खर्च पर चल रहे मदरसों और संस्कृत स्कूलों (तोल) को बंद किया जाएगा। उन्होंने साफ किया था कि सार्वजनिक खर्च से धार्मिक शिक्षा का वहन नहीं किया जा सकता। इस बारे में नवंबर में नोटिफिकेशन भी जारी किया जाएगा। हालांकि, निजी संस्थान अपने खर्च पर धार्मिक शिक्षा देना जारी रख सकते हैं।