Temple Demolition Allegations: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने चीफ जस्टिस सुरेश कैत से उनके सरकारी आवास परिसर से हनुमान मंदिर हटाने का आरोप लगाने के लिए माफी मांगी है। हाल ही में हाई कोर्ट प्रशासन ने इन आरोपों को निराधार और झूठा बताया था। 25 जनवरी को लिखे पत्र में एचसीबीए के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन ने चीफ जस्टिस कैत से माफी मांगी और आश्वासन दिया कि वह भविष्य में ऐसा आचरण नहीं करेंगे।
अपने पत्र में जैन ने बताया, ‘दिसंबर 2024 में रविंद्र नाथ त्रिपाठी नाम के एक वकील ने मेरे पास एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुख्य न्यायाधीश के बंगले में एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है। इसके आधार पर मैंने मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की। हालांकि, अब मुझे पीडब्ल्यूडी विभाग और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मिला है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि मुख्य न्यायाधीश के बंगले में कभी कोई मंदिर नहीं था।’
ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी- जैन
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने पत्र में आगे कहा, मुझे एहसास है कि मेरे पत्र ने भ्रम पैदा किया है, जिसके लिए मुझे गहरा खेद है। मैं मुख्य न्यायाधीश के प्रति अपनी क्षमा याचना और सम्मान व्यक्त करता हूं।’ उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी व आग्रह करते हुए कहा कि उनके पहले के आवेदन के संबंध में आगे कोई भी कार्रवाई न की जाए।
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क्या है पूरा मामला?
अब पूरे मामले पर गौर करें तो यह पूरा विवाद उस समय पैदा हुआ जब CJI जस्टिस बीआर गवई, पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे अपने पत्र में बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि चीफ जस्टिस कैत के कहने पर उनके आवास से मंदिर हटाया गया। पत्र में चीफ जस्टिस कैत के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की भी प्रार्थना की गई। इसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आरोपों का खंडन किया। कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धर्मेंद्र सिंह ने एक प्रेस नोट जारी कर ऐसे सभी दावों को सिरे से नकार दिया। साथ ही कहा कि पीडब्ल्यूडी ने भी पुष्टि की है कि चीफ जस्टिस के आवास पर कोई भी मंदिर नहीं था। CJI संजीव खन्ना को लिखा था पत्र पढ़ें पूरी खबर…