मध्यप्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन का लखनऊ में निधन हो गया। वे करीब 40 दिन से बीमार थे। टंडन पिछले कुछ दिन से लखनऊ के मेदांता अस्पताल में वेटिंलेटर पर थे और उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। मंगलवार को उनके बेटे आशुतोष टंडन ने ट्वीट कर पिता के निधन की खबर दी। आशुतोष टंडन ने ट्वीट में लिखा, ‘बाबूजी नहीं रहे।’ 85 वर्षीय लालजी टंडन अगस्त 2018 से जुलाई 2019 के बीच बिहार के गवर्नर भी रहे।

लालजी टंडन की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। लिवर संबंधी दिक्कत होने के बाद 14 जून को उनकी सर्जरी हुई थी। इससे पहले तबीयत खराब रहने के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार उनके संपर्क में थे। सीएम बीच में राज्यपाल से मिलने लखनऊ भी गए थे।

पीएम में अपने ट्विटर अकाउंट पर  लिखा कि श्रीलाल जी टंडन संवैधानिक मामलों के अच्छे जानकार थे। उन्होंने उत्तरप्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका अदा की। उन्होंने कुशल प्रशासक के रूप में पहचान बनाई व हमेशा लोक कल्याण के कार्यों को प्राथमिकता दी।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लालजी टंडन के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि लालजी टंडन के निधन पर देश ने एक लोकप्रिय जन नेता, योग्य प्रशासक एवं प्रखर समाज सेवी को खोया है। वो लखनऊ के प्राण थे। साथ ही उन्होंने लालजी टंडन के निधन पर 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा भी की है।

लालजी टंडन 12 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में हिस्सा लिया करते थे। संघ से जुड़ाव के कारण ही उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। बाद में जब अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ की सीट छोड़ी तो उनकी विरासत को लालजी टंडन संभाला। साल 2009 में लालजी टंडन लखनऊ से चुनाव जीत सांसद बने।

टंडन ने अपना राजनीतिक सफर 1960 से शुरू किया। वे 2 बार पार्षद और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके बाद लगातार तीन बार विधायक भी रहे। वे कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी रहे थे। साथ ही यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।