मध्य प्रदेश के लिए एक नवंबर का दिन बेहद खास है क्योंकि साल 1956 में इसी दिन इस राज्य की स्थापना हुई थी। साल 2021 में ये राज्य अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है। मध्य प्रदेश को 4 प्रांतों को जोड़कर बनाया गया था, जिसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। ये चारों प्रांत जीवनशैली और संस्कृति के मामले में एक-दूसरे से काफी भिन्न थे, फिर भी मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर मध्य प्रदेश का निर्माण हुआ।
इस दौरान विंध्य प्रदेश के सीएम शंभूनाथ शुक्ल, भोपाल के सीएम डॉ शंकरदयाल शर्मा और मध्य प्रांत के सीएम तखतमल जैन थे। इन सभी मुख्यमंत्रियों की जबलपुर में मीटिंग हो चुकी थी, जिसमें मध्य प्रदेश के सीएम के रूप में रविशंकर शुक्ल को जिम्मेदारी दिए जाने से किसी को आपत्ति नहीं थी, क्योंकि ये बड़ा प्रदेश था और रविशंकर सबसे सीनियर नेता थे।
जब राज्य बनना बिल्कुल तय हो गया था, तो चारों राज्यों के सभी कांग्रेस विधायकों की मीटिंग नागपुर के विधानसभा भवन में हुई थी। यहां सर्वसम्मति से रविशंकर शुक्ल को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया था।
अमावस की रात
ऐसा नहीं है कि मध्य प्रदेश का पहले अस्तित्व नहीं था, ब्रिटिश शासन में ये राज्य सेंट्रल इंडिया के नाम से जाना जाता था। ये पार्ट ए, पार्ट बी और पार्ट सी कहलाता था। वहीं भोपाल में उस समय नवाबी शासन था।
मध्य प्रदेश के बनने के बाद जब आधी रात को राज्य के पहले सीएम रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी, उसी दौरान किसी ने उन्हें ये बात याद दिलाई थी कि आज अमावस की रात है। हालांकि उस समय शुक्ल ने इस बात को ये कहकर टाल दिया था कि कोई बात नहीं, इस अंधेरे को मिटाने के लिए हजारों दिए जल रहे हैं।
उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि वो दिवाली की रात थी। लेकिन इस घटना के ठीक 2 महीने बाद 31 दिसंबर 1956 को शुक्ल का निधन हो गया था। इस बारे में कई लोग ये कहते पाए जाते हैं कि अमावस की रात शुक्ल के लिए अभिशाप बन गई।
1956 में जब मध्य प्रदेश बनने लगा तो मध्य भारत के तत्कालीन सीएम तखतमल जैन की ये इच्छा नहीं थी कि ऐसा हो। उनका मानना था कि प्रांतों के एक साथ मिलने से मध्य भारत की पहचान खत्म हो जाएगी।
उस समय मध्य भारत विकसित अवस्था में था, ऐसे में जैन का मानना था कि अगर इसको गरीब राज्यों से जोड़ा गया तो अविकसित इलाके तो तरक्की कर लेंगे, लेकिन इसका फर्क मध्य भारत पर पड़ेगा। मालवा के नेताओं के बीच ये धारणा आज भी देखी जाती है।
चौंक गए पंडित नेहरू
कांग्रेस साल 1920 से भाषाई आधार पर राज्यों को बनाने की बात कर रही थी लेकिन आजादी के बाद वह बदल गई। बाद में डॉ अंबेडकर ने मराठी भाषा के लोगों के लिए महाराष्ट्र राज्य की मांग की और फिर आंध्र प्रदेश के लिए भी मांग उठी। इसके बाद 1955 में राज्यों के पुनर्गठन के लिए प्रक्रिया शुरू हुई और राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना हुई।
इस आयोग ने छोटे राज्य और बाकी के राज्यों के बचे हुए हिस्से को जोड़कर नया राज्य मध्य प्रदेश बना लिया। इस तरह पुराने मध्य प्रदेश के महाकौशल, छत्तीसगढ़ के 14 जिले, विंध्यप्रदेश, मध्यभारत, भोपाल राज्य और राजस्थान की सिरोंज तहसील की अदला बदली मंदसौर के सुनेल टप्पा से करके नया प्रदेश बना दिया गया। पंडित नेहरू ने जब ये नक्शा देखा तो कहने लगे कि ये क्या ऊंट की तरह दिखने वाला राज्य बना दिया।
इन बातों का जिक्र ‘मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़’ और ‘मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश’ के नाम की किताब में है। जिनके लेखक क्रमश: बसंत कुमार तिवारी और मायाराम सुरजन हैं।