कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यदि मध्य प्रदेश में सरकार पार्टी के घोषणापत्र को पूरा लागू नहीं करती है तो वह सड़कों पर उतरेगें। उन्होंने दिल्ली चुनाव में पार्टी की हार के बाद सोच बदलने की भी जरूरत बताई। संत रविदास जयंती के अवसर पर जिले में कुडीला गांव में एक सभा को सम्बोधित करते हुए सिंधिया ने कहा, ‘‘ मेरे अतिथि शिक्षकों को मैं कहना चाहता हूं। आपकी मांग मैंने चुनाव के पहले भी सुनी थीं। मैंने आपकी आवाज उठाई थी और ये विश्वास मैं आपको दिलाना चाहता हूं कि आपकी मांग जो हमारी सरकार के घोषणापत्र में अंकित है वो घोषणापत्र हमारे लिए हमारा ग्रंथ है।’’

उन्होंने अतिथि शिक्षकों को सब्र रखने की सलाह देते हुए कहा, ‘‘अगर उस घोषणापत्र का एक-एक अंग पूरा न हुआ तो अपने को सड़क पर अकेले मत समझना। आपके साथ सड़क पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उतरेगा। सरकार अभी बनी है, एक वर्ष हुआ है। थोड़ा सब्र हमारे शिक्षकों को रखना होगा। बारी हमारी आयेगी, ये विश्वास, मैं आपको दिलाता हूं और अगर बारी न आये तो चिंता मत करो, आपकी ढाल भी मैं बनूंगा और आपका तलवार भी मैं बनूंगा।’’

इससे पहले सिंधिया ने जिले के पृथ्वीपुर में संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की पराजय दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश बदल रहा है इसी तरह लोगों की सोच भी बदल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें (कांग्रेस) बदलना होगा और लोगों के बीच नए दृष्टिकोण के साथ पहुंचना होगा।’’

वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की तुलना ‘‘कोरोना वायरस की तरह अनवरत त्रासदी’’ से करते हुए वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पार्टी को ‘‘सख्ती से’’ अपना पुनरावलोकन करना चाहिए या फिर अप्रासंगिक होने की संभावना का जोखिम झेलना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी दिल्ली चुनाव में हार के परिप्रेक्ष्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘‘सर्जिकल’’ कार्रवाई का आह्वान किया है।

रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेताओं को अपना पुनरावलोकन करना होगा। कांग्रेस को यदि प्रासंगिक होना है तो उसे स्वयं का पुनरावलोकन करना होगा। अन्यथा, हम अप्रासंगिकता की ओर बढ़ रहे हैं। हमें अहंकार छोड़ना होगा, छह साल से सत्ता से दूर होने के बावजूद हममें से कई लोग कई बार ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे हम अब भी मंत्री हैं।’’