मध्य प्रदेश को आज यानी कि सोमवार को अपना मुख्यमंत्री मिल सकता है। बीजेपी विधायक दल की बैठक होने जा रही है जिसमें ऐलान कर दिया जाएगा कि इस बार राज्य में फिर शिवराज का राज लौटने वाला है या फिर किसी नए चेहरे का आगाज दिखने वाला है। छत्तीसगढ़ में तो पार्टी ने विष्णुदेव साय को मौका देकर नए चेहरे पर दांव चल दिया है, सवाल ये है कि क्या एमपी में इसी ट्रेंड को बरकरार रखा जाता है या फिर उसी ट्रेंड को यहां तोड़ा जाता है।
शिवराज की रणनीति
अब शिवराज सिंह चौहान एक काफी अनुभवी और समझदार नेता माने जाते हैं। वे दूसरे नेताओं की तरह दिल्ली नहीं गए, बल्कि मध्य प्रदेश में रहकर ही अपनी लोकप्रियता दर्शाते रहे। उन्होंने उन इलाकों का सबसे ज्यादा दौरा किया जहां पार्टी कुछ कमजोर है। छिंदवाड़ा से लेकर श्योपर तक उन्होंने यात्रा की, कई लोगों से मुलाकात की, अपनी लाडली बहनों से संपर्क साधा। साफ संदेश दिया गया कि 2024 के चुनाव में इन हारी हुई सीटों पर भी कमल खिलाने के लिए शिवराज की जरूरत पड़ने वाली है।
अभी तक आलाकमान ने तो कोई संकेत नहीं दिया है कि वे शिवराज को कायम रखने वाले हैं या नए चेहरे पर दांव चलने वाले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कुछ तो बड़ा और निर्णायक फैसला लिया जाएगा। मध्य प्रदेश में अगर शिवराज की दावेदारी को छोड़ दिया जाए तो सीएम रेस में प्रह्लाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता के नाम भी सामने आ रहे हैं।
विजवर्गीय और प्रह्लाद की आस
कैलाश विजयवर्गीय ने तो रविवार को ही शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात भी की। इसी तरह शनिवार को प्रह्लाद सिंह भी शिवराज से मिलने पहुंच गए थे। इसी वजह से कन्फ्यूजन कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ गया। एमपी में वैसे भी बीजेपी को क्योंकि दो तिहाई वाला बहुमत मिला है, पार्टी सीएम चुनने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती। जानकारी जरूर ऐसी मिल रही है कि इस समय प्रह्लाद सिंह पटेल को रेस में ज्यादा आगे बताया जा रहा है। वे भी शिवराज सिंह चौहान की तरह एक ओबीसी चेहरा हैं और उनके लोधा समुदाया की एमपी की राजनीति में निर्णायक भूमिका है।
अब पार्टी क्या उनके साथ जाती है या फिर शिवराज सिंह चौहान का ही हाथ थामती है, इसके लिए कुछ घंटे और इंतजार करने की जरूरत है। विधायक दल बता देगा कि मध्य प्रदेश में इस बार किसके सिर सजने जा रहा ताज।