संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अब भाजपा के ही एक विधायक ने इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मध्य प्रदेश के मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने संशोधित नागरिकता कानून का विरोध किया है और कहा है कि ‘देश में गृह युद्ध जैसे हालात हैं। मुस्लिम अब हमें देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं।’
संविधान के उल्लंघन का लगाया आरोपः भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि ‘हमें या तो बीआर अंबेडकर के संविधान का पालन करना चाहिए या फिर हमें उसे फाड़कर फेंक देना चाहिए। भारत का संविधान कहता है कि हमारे देश में धर्म के आधार पर बंटवारा नहीं किया जा सकता, लेकिन देश में बंटवारा हो रहा है।’
भाजपा विधायक ने कहा कि आज देश में गृह युद्ध जैसे हालात हैं। एक दूसरे की तरफ लोगों ने देखना बंद कर दिया है। हमारे गांव में मुसलमान रहते हैं पहले वे हमारी इज्जत करते थे लेकिन आज वह हमें देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं।
नारायण त्रिपाठी ने कहा कि जिस घर, मोहल्ले या गांव में गृह कलह होगी, वहां सुख शांति संभव नहीं है। हम एकता और अखंडता की बात करते हैं पर धर्म के आधार पर बंटवारा करेंगे तो देश नहीं चल पाएगा।
BJP MLA Narayan Tripathi on #CAA: We should either follow BR Ambedkar’s Constitution or we should just tear and throw it away. The Constitution of India says that division can’t be done on the basis of religion in our country, still the country is being divided. #MadhyaPradesh pic.twitter.com/Afl1ABXlQq
— ANI (@ANI) January 28, 2020
बताया निजी रायः भाजपा विधायक ने सीएए विरोध को अंतर्रात्मा की आवाज बताया। उन्होंने पार्टी पोरम पर भी अपनी बात रखने की बात कही। हालांकि उन्होंने इसे अपनी निजी राय बताया और कहा कि ‘सीएए वोट की राजनीति के लिए सही है, लेकिन देश के लिए सही नहीं है।’
नारायण त्रिपाठी ने कहा कि ‘बेरोजगारी पर बात करने की जरूरत है ना कि धर्म के आधार पर नागरिकता की। उन्होंने कहा कि मैं गांव से आता हूं और गांव में आज भी आधार कार्ड नहीं बन रहे हैं तो बाकी कागज लोग कहां से लाएंगे। देश को अगर आगे ले जाना है तो इस कानून को लागू नहीं करना चाहिए।’
गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व जहां देश में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थन में जगह जगह रैली कर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है। वहां भाजपा विधायक के ही इस कानून के खिलाफ मोर्चा खोल देने से पार्टी को कई सवालों को सामना करना पड़ सकता है।
