बीएसपी प्रमुख मायावती की धमकी के अगले ही दिन मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने ‘भारत बंद’ के दौरान दलितों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. मंगलवार को मध्य प्रदेश सरकार ने सबसे पहले मुकदमों को वापस लेने की घोषणा की। प्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पिछले साल 2 अप्रैल को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान वे निर्दोष लोग जो हिंसा वाली जगहों पर मौजूद नहीं थे, उनके खिलाफ दायर मुकदमों को राज्य सरकार वापस लेने जा रही है। उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने सिर्फ राजनीतिक प्रदर्शन किए थे उनके खिलाफ दायर मुकदमें वापस लिए जाएंगे। क्योंकि, कुछ लोग ऐसे भी नामजद हुए जो मौके पर मौजूद भी नहीं थे।”
वहीं, राजस्थान सरकार भी दलितों के खिलाफ दायर मुकदमों को वापस लेने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि भारत बंद के दौरान हुई हिंसा में आरोपी लोगों की वह जांच करेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में निर्दोष व्यक्ति को मुकदमों में नहीं फंसाया जाएगा। सीएम गहलोत ने बीएसपी प्रमुख की मांग को जायज ठहराया। उन्होंने कहा, “यह एक जांच का मसला है। यह देखना होगा कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है और उनमें से कितने दोषी और कितने निर्दोष हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि जो व्यक्ति दोषी भी नहीं होता है, फिर भी वहां फंसा दिया जाता है।”
गहलोत ने कहा कि, “वह (मायावती) अपना काम कर रही हैं, हम अपना काम करेंगे। मायावती जी ने सरकार को जो बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया है हम उसकी सराहना करते हैं और धन्यवाद देते हैं।” गौरतलब है कि SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ पिछले साल 2 अप्रैल को पूरे देश में भारत बंद का आह्वान किया गया। इस बंद में दलित समुदाय के लोगों ने बड़े स्तर पर हिस्सा लिया और सरकार से उत्पीड़न से संबंधित एक्ट को मजबूत करने को लेकर आवाज उठाई। इस दौरान कई जगहों पर हिसंक और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की वारदातें सामने आईं। कई जगहों पर उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमें भी दर्ज किए गए। बाद में आरोप लगे कि इस दौरान कई निर्दोष लोगों को भी फंसाया गया।
इस संबंध में मायावती ने कहा कि कई लोगों को राजनीतिक द्वेष से फंसाया गया। इस मामले में उन्होंने मध्य प्रदेश और राजस्थान (यहां उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया है।) सरकारों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने केस वापस नहीं लिए तो उनके समर्थन के फैसले पर फिर से सोचना पड़ेगा। दरअसल, मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में कांग्रेस बहुमत से 2 अंक पीछे है। ऐसे में वह 2 बीएसपी, एक एसपी और 4 निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई है।