सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की “समय से पहले” रिहाई के खिलाफ दिवंगत कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर नोटिस जारी किया है। अदालत ने आठ हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
मधुमिता शुक्ला की 9 मई, 2003 को लखनऊ स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में दोषी साबित होने पर अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी गोरखपुर जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने भी त्रिपाठी दंपत्ति की रिहाई के ख़िलाफ़ कोई आदेश नहीं दिया है।
निधि शुक्ला ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से रिहाई रोकने का किया आग्रह
निधि शुक्ला ने मीडिया से कहा, “मैं यूपी के राज्यपाल और यूपी के मुख्यमंत्री से उनकी(त्रिपाठी दंपत्ति) रिहाई रोकने का अनुरोध करती हूं…RTI आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए। वह कुछ भी कर सकता है…अगर उसने मेरी हत्या कर दी तो इस केस की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा?…यूपी में कैसी कानून-व्यवस्था है?”
उधर, कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि जघन्य अपराध में शामिल लोगों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा…मैं इस कदम की निंदा करता हूं…बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली पार्टी महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल लोगों को रिहा कर रही है…दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
यूपी के जेलमंत्री बोले- गवर्नर और सीएम के निर्देश पर ही होती है रिहाई
इस मामले में उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा, “जेल से कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों और जेल के कैदियों के आचरण पर आधारित होती है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही किसी कैदी की रिहाई के आदेश दिए जाते हैं।”
