Ludhiana West Bypoll: पंजाब में हाल ही में लुधियाना वेस्ट सीट पर उपचुनाव हुआ। इस सीट के चुनाव नतीजे बीजेपी के लिए उसे ऊर्जा देने वाले साबित नहीं हुए। हालांकि इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव की तुलना में पार्टी के वोट शेयर में मामूली बढ़ोतरी जरूर हुई लेकिन पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी।

लुधियाना वेस्ट सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। बीजेपी को 22.5% वोट शेयर मिला और वह अकाली दल से आगे रही।

बीजेपी ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगाई और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, रवनीत सिंह बिट्टू, पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ सहित बड़े दिग्गजों को चुनाव प्रचार में उतारा लेकिन इसका बहुत फायदा उसे नहीं मिला।

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क्या हुआ था पिछले चुनावों में?

पंजाब में बीजेपी के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए पिछले कुछ चुनाव और उपचुनावों के नतीजों पर भी नजर डालनी होगी। जून 2022 में संगरूर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी अकाली दल से आगे रही। 2024 के लोकसभा चुनाव में जालंधर में बीजेपी का वोट शेयर 21.64% रहा, जो कि 2023 में हुए उपचुनाव में 15.18% था।

जुलाई, 2024 में जालंधर वेस्ट के उपचुनाव में, बीजेपी को 18.94% वोट शेयर मिला था और वह अकाली दल से आगे रही थी। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से यह कम था क्योंकि तब उसे 28.81% वोट मिले थे और वह तीसरे नंबर पर रही थी।

पिछले साल नवंबर में पंजाब में चार सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हुए थे। ये सीटें- गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल, डेरा बाबा नानक और बरनाला थीं। इन सभी सीटों पर बीजेपी तीसरे नंबर पर रही और केवल बरनाला में ही अपनी जमानत बचा पाई। अकाली दल इन चुनावों में मैदान में नहीं उतरा था।

2027 की शुरुआत में है विधानसभा चुनाव

बीजेपी पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में खुद की मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है लेकिन पार्टी कई मामलों को लेकर परेशान है। लोकसभा चुनाव 2024 में उसे एक भी सीट नहीं मिली और इसके बाद सुनील जाखड़ ने प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया।

बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं ले पाया है। इस वजह से कार्यकर्ताओं में असमंजस का माहौल है।

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बीजेपी के एक सूत्र कहते हैं, “इस उपचुनाव का सीधा मतलब है कि पार्टी को आत्मनिरीक्षण करने और संगठन में बदलाव करने की जरूरत है। दूसरे या तीसरे स्थान पर रहना या सिर्फ जमानत बचाने से कुछ नहीं होगा। 2027 के चुनाव के लिए जमीन पर काम करने और उम्मीदवारों के चयन का काम शुरू कर दिया जाना चाहिए।”

यहां याद दिलाना जरूरी होगा कि कृषि कानूनों के चलते बीजेपी को पंजाब में जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था और इस मुद्दे पर उसका अकाली दल के साथ गठबंधन टूट गया था।

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