मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को विश्व हिन्दी सम्मेलन का शुभारंभ किया और साथ ही हिंदी भाषा की महत्ता के बारे में बयां किया।

तीन दिवसीय चलने वाले इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने अपने जीवन के उन लम्हों को भी बयां किया, जब वह गुजरात में चाय बेचा करते थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैंने चाय बेचते-बेचते हिन्दी सीखी है।

पीएम ने कहा कि हिंदी भाषा की भक्ति एक्सक्लूसिव नहीं, इनक्लूसिव होनी चाहिए, क्यूंकि भाषा अपने आप में बहुत बड़ा बाजार है। उन्होंने कहा कि डिजिटल वर्ल्ड में हिन्दी, चीनी और अंग्रेजी भाषाओं का दबदबा रहेगा।

आने वाले समय में डिजिटल वर्ल्ड का महत्व होगा। टेक्नोलॉजी से जुड़े लोग सोचें कि कैसे हिन्दी को डिजिटल वर्ल्ड से जोड़ें। दुनिया हमारी बात स्वीकारने को तैयार है।

उन्होंने आज की युवा जनरेशन को ध्यान में रखते हुए कहा कि पहले के दौर में लोगों की जुवान पर एक नहीं बल्कि कई नंबर मौखिक याद रहते थे, लेकिन अब अपना खुद का भी नंबर याद नहीं रहता।

हिंदी दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भाषा को दायरे में समेटकर नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि रूस के लोग बहुत अच्छी हिन्दी बोलते हैं। 21वीं सदी में 90 प्रतिशत भाषाओं के लुप्त होने का संकट। दुनियाभर में 6 हजार भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे में हमे अपनी मात्र भाषा हिंदी के अस्तित्व बनाए रखने की जरूरत है।

पीएम ने कहा कि चीन में लोग हिन्दी में बात करते हैं और उज्बेकिस्तान में हिन्दी शब्दकोश बना हुआ है। अपने गढ़ गुजरात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां के लोग भी झगड़े में हिन्दी का इस्तेमाल करते हैं।

मुंबई में रहने वाले ने यूपी के भैंसवाले से हिन्दी सीखी। उन्होंने कहा कि हिन्दी को दूसरी भाषाओं से तालमेल बढ़ाना होगा। दूर देश में हिन्दी भाषा का प्यार हम महसूस करते हैं।

प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के सफल होने की कामना करते हुए अपने शुभकामना संदेश में आशा प्रकट की कि इसमें भाग ले रहे विद्वान हिंदी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के मूलमंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को आगे बढाएंगे और हिंदी जगत के विस्तार की संभावनाओं को चरम पर पहुंचाने के उपायों पर चर्चा करेंगे।