कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच में सीट शेयरिंग को लेकर होने वाली बैठक रद्द कर दी गई है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पहले बसपा के साथ बैठक करेगी, उसके बाद सपा के साथ मंथन किया जाएगा। अब बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर यूपी कांग्रेस काफी उत्साहित है, लेकिन अखिलेश यादव की तरफ से ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। पिछली इंडिया गठबंधन की बैठक में उन्होंने कांग्रेस से अपना रुख साफ करने के लिए कहा था।

अभी के लिए तो बताया जा रहा है कि कांग्रेस के नेता जरूरत से ज्यादा व्यस्त हैं, इसी वजह से बैठक इस बार नहीं हो पाई। लेकिन अंदरखाने खबर है कि यूपी में भी दूसरे राज्यों की तरह सीट शेयरिंग को लेकर स्थिति साफ नहीं है। यहां भी कांग्रेस ज्यादा सीटें चाहती है, लेकिन सपा उतनी देने को तैयार नहीं। इसके ऊपर जिस तरह से कांग्रेस बसपा को साथ लाने की बात कर रही है, इसने भी सपा को असहज करने का काम किया है।

वैसे इस पूरी सियासत में बहुजन समाज पार्टी का रुख भी ज्यादा साफ नहीं हुआ है। किसी भी नेता ने सामने से आकर नहीं बोला है कि वो इंडिया गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। कुछ दिन पहले जरूर ऐसी बातें सामने आई थीं कि अगर मायावती को पीएम उम्मीदवार बनाया जाए, वे गठबंधन के साथ जा सकती हैं। लेकिन कांग्रेस को छोड़ कोई दूसरा दल अभी बसपा को ज्यादा तवज्जो देने का काम नहीं कर रहा है।

अब यूपी में तो पेंच फंसता दिख रहा है, बंगाल में टीएमसी ने सीट शेयरिंग वाली बैठक रद्द कर दी है। असल में टीएमसी ने साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें नहीं देने वाली है, वहीं कांग्रेस कम के कम सात सीटों पर अपना दावा ठोक रही है। इसी रवैये की वजह से टीएमसी ने सीट शेयरिंग वाली बैठक को रद्द कर दिया। यानी कि बात चाहे यूपी की हो या बंगाल की, सीट शेयरिंग को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। सभी पार्टियों को क्योंकि ज्यादा से ज्यादी सीटों पर लड़ना है, ऐसे में आम सहमति बनती नहीं दिख रही। इसके ऊपर बसपा की वजह से भी कई चीजें बीच अधर में फंस गई हैं।

ऐसी खबर है कि कांग्रेस नेता 15 जनवरी को मायावती से मुलाकात कर सकते हैं। असल में उस दिन बसपा प्रमुख का जन्मदिन है, ऐसे में बधाई के साथ गठबंधन को लेकर राजी करने की बड़ी पहल भी की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो उस स्थिति में अखिलेश यादव की मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाएंगी।