लोकसभा चुनाव करीब आते ही बीजेपी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बीच तल्‍खी बढ़ गई है। हालात तो यहां तक पहुंच गए हैं कि ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी अल्‍टीमेटम तक दे दिया। ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह से 21 फरवरी को मुलाकात की थी। इसके बाद ‘इंडियन एक्‍सप्रेस’ से बात करते हुए ओमप्रकाश राजभर ने बताया था कि बीजेपी अध्‍यक्ष ने उन्‍हें 48 घंटों के अंदर सभी वादे पूरे करने का आश्‍वासन दिया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ने बताया कि मांगें पूरी न होने की स्थिति में उनकी पार्टी NDA से अलग हो जाएगी। इससे पहले वह उत्‍तर प्रदेश में मंत्री पद छोड़ने की भी पेशकश कर चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि यूपी कॉरपोरेशन और बोर्ड में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं की नियुक्ति न होने से ओमप्रकाश राजभर नाराज हैं। इसके अलावा लोकसभा सीट शेयरिंग को लेकर भी अभी तक किसी तरह की चर्चा नहीं की गई है। इससे पार्टी में उहापोह की स्थिति बढ़ गई है। बता दें कि सपा और बसपा ने न केवल गठबंधन की घोषणा की, बल्कि चुनाव लड़ने वाली सीटों का भी ऐलान कर दिया है।

बीजेपी पर लगातार दबाव बना रहे राजभर: लोकसभा चुनावों में अब कुछ हफ्तों का वक्‍त शेष रह गया है। ऐसे में बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्‍व वाले यूपीए के घटक दलों में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। खासकर एनडीए में सीटों को लेकर लगातार उठा-पटक चल रही है। उत्‍तर प्रदेश में योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सीटों को लेकर बीजेपी पर लगातार दबाव बना रही है। इसको लेकर दोनों दलों में तकरार इस हद तक बढ़ चुका है कि तकरीबन तीन साल पुराना गठजोड़ टूटने के कगार तक पहुंच चुका है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले वर्ष 2016 में बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन करने का ऐलान किया था। साल 2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने विधानसभा की कुल 8 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारे थे, जिनमें से 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद 4 सीटें जीतने वाली सुहेलदेव पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को मंत्री पद भी मिल गया। लेकिन, लोकसभा चुनाव के करीब आते ही सीटों को लेकर तल्‍खी बढ़ गई है। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी बीजेपी को ही पानी पिला रही है।

बीजेपी से गठजोड़ से पहले एक भी सीट नहीं जीत सकी थी राजभर की पार्टी: ओमप्रकाश राजभर ने वर्ष 2016 में मऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें अमित शाह ने भी शिरकत की थी। इसी समारोह में बीजेपी अध्‍यक्ष ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने का ऐलान किया था और साल 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने साथ मिलकर लड़ा था। अलग पार्टी बनाने के बाद राजभर को पहली बार चुनावी जीत मिली थी। इससे पहले ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने दो-दो बार विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपने उम्‍मीदवार उतारे थे, लेकिन खाता तक नहीं खुल सका था। राजभर ने वर्ष 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में कुल 97 प्रत्‍याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन एक भी उम्‍मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया था। इसके बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव भी अपने दम पर लड़ा था। राजभर ने 16 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार खड़े किए थे, लेकिन एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी। पार्टी ने इसके बाद साल 2012 का विधानसभा चुनाव भी अकेले लड़ा और एक बार फिर से मुंह के बल गिरी। हालांकि, राजभर की पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 45 उम्‍मीदवार कम मैदान में उतारे थे। लगातार हार मिलने के बावजूद ओमप्रकाश राजभर ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में एक बार फिर से अपने उम्‍मीदवार उतारे थे और पार्टी को फिर से हार का मुंह देखना पड़ा। बीजेपी से गठजोड़ के बाद पार्टी ने 8 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्‍याशी खड़े किए थे और पहली बार 4 सीटों पर जीत नसीब हुई थी।