जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए बढ़ाने पर एआईएमआईएम अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को संसद में केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। ओवैसी ने अपने भाषण की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह के हैंड्सम कहकर की। इसके बाद उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर जमकर बरसें।

उन्होंने कहा ‘केंद्र सरकार आर्टिकल 370 का उल्लंघन कर रही है। माननीय गृह मंत्री कश्मीर दौरे के दौरान बकरवाल समुदाय की पगड़ी में बेहद ही हैंडसम लग रहे थे। मैं उनसे जानना चाहता हूं कि उनकी नजर में शांति की क्या व्याख्या है। क्या आपको कश्मीर में कब्रिस्तान का सन्नाटा चाहिए?’

एआईएमआईएम अध्यक्ष ने आगे कहा ‘गृह मंत्री के कश्मीर दौरे के दौरान पूरी घाटी को बंद कर दिया गया। ट्रैफिक एडवाइजरी जारी कर पहले ही कह दिया गया था कि एक व्यक्ति भी घर से बाहर नहीं निकलेगा। घाटी में ऐसी शांति का क्या मतलब है।’

ओवैसी ने कहा कि गृह मंत्री इसका जवाब दें कि शुजात बुखारी हत्या मामला में क्या प्रगति हुई? बीते पांच वर्षों में आपने कितने कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस भेजा? और कितने सरकार की नजर में परिसीमन की थ्योरी क्या है?

इससे पहले जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के सांविधिक प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘ जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी ‘प्राथमिकता’ है और उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है।’

गृह मंत्री ने कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने (पंडित नेहरू) तब के गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को भी इस विषय पर विश्वास में नहीं लिया।

शाह ने कहा, ‘हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं । जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांति पूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे। आज वर्षों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं…ये जम्हूरियत है ।’