लोकपाल के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर अचानक से सरगर्मी बढ़ गई है। समाजिक कार्यकर्ता अन्‍ना हजारे ने महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथि के मौके पर अपने पैतृक गांव रालेगण सिद्धी में अनशन पर बैठने की घोषणा की है। दूसरी तरफ, मोदी सरकार के सत्‍ता में आने के बाद लोकपाल के चयन को लेकर नई दिल्‍ली में सर्च कमेटी की पहली बैठक हुई। अधिकारियों ने बताया कि भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल के सदस्यों को चुनने के लिए गठित आठ सदस्यीय सर्च पैनल ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक की।

पीटीआई के अनुसार, इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई द्वारा की गई। समझा जाता है कि समिति ने लोकपाल के प्रमुख और सदस्यों की नियुक्तियों से संबंधित तौर-तरीकों पर चर्चा हुई। बता दें कि लगभग चार महीने पहले मोदी सरकार द्वारा इसका गठन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति द्वारा लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए विचार किए जा सकने वाले नामों के पैनल को भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सर्च कमेटी के लिए फरवरी-अंत तक की समय सीमा तय की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीमा तय करने के कुछ दिनों बाद यह बैठक की गई।

गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा चिंता व्यक्त किए जाने के बावजूद पिछले साल सितंबर महीने में कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की पूर्व प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती की चेयरपर्सन ए सूर्य प्रकाश और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख ए एस किरण कुमार शामिल हैं। इनके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज सखा राम सिंह यादव, गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख शब्बीर सिंह एस खंडवाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ललित के पंवार और रंजीत कुमार पैनल में शामिल हैं।

बता दें कि कुछ खास श्रेणी के लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर गौर करने के लिए केन्द्र में लोकपाल तथा राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की व्यवस्था करने वाला लोकपाल कानून 2013 में पारित हुआ था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि चयन समिति का गठन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उठाई चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए किया गया। खड़गे चयन समिति की बैठकों का बहिष्कार इस आधार पर करते रहे हैं कि उन्हें समिति का पूर्ण सदस्य नहीं बनाया गया है। वह उन्हें पिछले साल छह मौकों पर चयन समिति की बैठकों में ‘विशेष अतिथि’ के तौर पर शामिल होने के लिए भेजे गये न्यौते को खारिज कर चुके हैं। खड़गे ने इससे पहले सरकार से लोकपाल कानून में संशोधन करके चयन समिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल करने तथा इस संबंध में अध्यादेश लाने का अनुरोध किया था।

उल्लेखनीय है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता चयन समिति के सदस्य होंगे। चूंकि, खड़गे को यह दर्जा हासिल नहीं है, इसलिए वह समिति का हिस्सा नहीं हैं। विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल करने के लिए उनकी पार्टी के पास लोकसभा में कम से कम 55 सीटें या सदन के सदस्यों की कुल संख्या की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए।