बुधवार को संसद में असंसदीय शब्दों को बैन कर दिया इसके लिए शब्दों की एक सूची जारी की गई जिसमें साफ तौर पर ऐसे शब्दों को असंसदीय घोषित करते हुए बैन कर दिया गया। इस बात को लेकर गुरुवार को विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला इस दौरान सबको शांत करवाया और कहा कि किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा इस मामले में विपक्ष को गलफहमी में नहीं रहना चाहिए और न ही ऐसी गलतफहमियां फैलानी चाहिए। उन्होंने कहा हमने किसी भी शब्द पर बैन नहीं लगाया है लेकिन उन शब्दों को हटा दिया है जिसको लेकर आपत्तियां थीं।

ओम बिड़ला ने बताया कि इसके पहले असंसदीय शब्दों को लेकर एक किताब लिखी जाती थी लेकिन अब सरकार ने कागजों की बर्बादी से बचने के लिए इसको इंटरनेट पर अपलोड कर दिया है। किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है जिन शब्दों पर आपत्तियां थी उन्हें हटा दिया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि हमने उन शब्दों का संकलन भी जारी किया है।

जिन शब्दों को हटाया गया उसका उपयोग पक्ष विपक्ष दोनों करते थे
सदन में विपक्ष के हंगामा किए जाने को लेकर ओम बिरला ने कहा क्या हंगामा करने वाले विपक्ष के लोगों ने 1,100 पन्नों की इस डिक्शनरी को पढ़ा है? बिड़ला ने कहा कि अगर वो अगर वो गलतफहमियां नहीं फैलाते तो यह 1954…1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी की गई ये किताब 2010 से हर साल छप रही है। उन्होंने कहा कि जिन शब्दों को हटा दिया गया है वो शब्द सिर्फ विपक्ष ने ही नहीं उपयोग किए थे वो शब्द सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने भी उपयोग किए थे। केवल विपक्ष के इस्तेमाल किए गए शब्दों को किताब से हटाया गया हो ऐसा नहीं है।

असंसदीय सूची में आए नए शब्द
‘जुमलाजीवी’, ‘बाल बुद्धि’, ‘कोविड स्प्रेडर’ और ‘स्नूपगेट’ ‘शर्मिंदा’, ‘दुर्व्यवहार’, ‘विश्वासघात’, ‘ड्रामा’, ‘पाखंड’और ‘अक्षम’ जैसे रोजमर्रा के उपयोग होने वाले शब्दों को लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को असंसदीय सूची में डाल दिया। विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे सरकार की आलोचना करने की उनकी क्षमता बाधित होगी। आपको बता दें कि सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है इस सत्र के शुरू होने से पहले ही जारी की गई इस किताब से ‘अराजकतावादी’, ‘शकुनि’, ‘तानाशाही’, ‘तानाशाह’, ‘तानाशाही’, ‘जयचंद’, ‘विनाश पुरुष’, ‘खालिस्तानी’ और ‘खून से खेती’ जैसे शब्दों को को भी वाद-विवाद के दौरान या अन्यथा इस्तेमाल करने पर हटा दिया जाएगा।

अध्यक्ष के खिलाफ किसी भी आरोप को असंसदीय माना जाएगा
लोकसभा सचिवालय की सूची में एक चेतावनी शामिल है कि कुछ शब्दों को संसदीय कार्यवाही के दौरान बोली जाने वाली अन्य अभिव्यक्तियों के संयोजन के साथ पढ़े जाने तक असंसदीय नहीं माना जा सकता है। बुकलेट में यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष के खिलाफ दोनों सदनों में अंग्रेजी या हिंदी में किए गए किसी भी आरोप को असंसदीय माना जाएगा और संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा। बुकलेट की आलोचना को पहले सरकारी सूत्रों के माध्यम से मीडिया को जारी एक बयान में काउंटर किया गया था। बयान में कहा गया है, इनमें से अधिकतर शब्दों को यूपीए सरकार के दौरान भी असंसदीय माना जाता था। किताब केवल शब्दों का संकलन है सुझाव या आदेश नहीं।