लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एम.एम. श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील बी.वी. आचार्य शामिल हैं। बिरला ने कहा कि कमेटी जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “31 जुलाई 2025 को रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता समेत कुल 146 सदस्यों के हस्ताक्षर से प्रस्ताव मिला है। जिसमें भारत के राष्ट्रपति को इलाहाबाद हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश यशवंत वर्मा को न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 की धारा तीन के साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(4) के साथ पठित अनुच्छेद 217 और अनुच्छेद 218 के अंतर्गत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए एक समावेदन प्रस्तुत करने का प्रस्ताव है।”

स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 124 के अंतर्गत, मैं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव करता हूं। इस पर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। इसे उचित पाते हुए मैंने इसे मंजूरी दे दी है। मैंने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य शामिल हैं।”

अधजले नोट के बंडल ने बढ़ाई जस्टिस वर्मा की मुश्किल

जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड क्या है?

जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर जली हुई नकदी मिलने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया। हालांकि, न्यायाधीश ने नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया और अपने खिलाफ लगे आरोपों को बेतुका बताया, फिर भी शीर्ष अदालत ने एक इंटरनल कमेटी का गठन किया और उसने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की। पैनल की रिपोर्ट को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसी सिफारिश के साथ भेजा। जस्टिस वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। पढ़ें पूरी खबर…