कर्नाटक के सियासी संकट के मुद्दे को विपक्षी दल शुक्रवार (19 जुलाई 2019) को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान उछालना चाह रहे थे। लेकिन स्पीकर ओम बिरला इतने नाराज हुए कि उन्होंने सांसदों को फटकार लगा दी। विपक्षी दलों के सांसद सदन की वेल में खड़े होकर कर्नाटक सियासी संकट पर जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। वेल में सांसदों को देख स्पीकर ने कहा कि मेरे स्टाफ को हाथ भी मत लगाना।
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के 15 विधायक बागी होकर इस्तीफा दे चुक हैं। राज्य की कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं कांग्रेस-जेडीएस का आरोप है कि बीजेपी कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है।
सांसद इन्हीं मुद्दों पर सदन में चर्चा चाहते थे लेकिन स्पीकर ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि पहले ही यह निर्धारित हो चुका था कि कर्नाटक के सियासी संकट पर प्रश्नकाल के दौरान सदन में चर्चा नहीं होगी। क्योंकि यह एक राज्य की विधानसभा का मामला है। यह एक संवैधानिक मसला है और इसे राज्य की विधानसभा में हल सुलझाया जाएगा। ऐसे में सदन पर इसमें चर्चा नहीं हो सकती। लेकिन मैं कांग्रेस के नेता को शून्यकाल में कर्नाटक के विषय पर अपनी रखने का मौका दूंगा।
हालांकि स्पीकर के कई बार मना करने और फटकार लगाने के बाद भी विपक्षी सांसद वेल में प्रदर्शन करते रहे। कांग्रेस और डीएमके और टीएमसी सांसदों ने मिलकर सदन में जमकर हंगामा किया। कांग्रेस और द्रमुक के सदस्यों ने ‘कर्नाटक में लोकतंत्र बचाओ’ और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाए
कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या हुई: शून्यकाल में कर्नाटक का मुद्दा उठाते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा विभिन्न राज्यों में विरोधी दलों की चुनी हुई सरकारों को गिराने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।