लोकसभा ने मंगलवार को शीतकालीन सत्र के 12वें दिन 71 पुराने कानूनों को रद्द करने के लिए गठित रिपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल, 2025 को पास कर दिया है। कानून और विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल को पेश करते हुए कहा कि यह बिल पुराने कानूनों को निरस्त करता है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पावर में आने के बाद 1,562 ऐसे कानून अब तक रद्द किए जा चुके हैं और 15 कानूनों में सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य उपनिवेशवाद के प्रभावों को पलटना है।
कानून और विधि मंत्री ने उदाहरण देते हुए समझाया
मेघवाल ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि “एक कानून ऐसा था जिसके अनुसार यदि कोलकाता, मद्रास और मुंबई में किसी हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन या पारसी द्वारा वसीयत बनाई जाती थी, तो उसका प्रमाणीकरण कराना जरूरी था।” उन्होंने आगे कहा कि अन्य समुदायों को इससे छूट दी गई थी।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने बताया कि “बिल के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में यह नहीं बताया गया है कि ये कानून अब लागू नहीं हैं, अप्रचलित हो चुके हैं, या इन्हें अलग अधिनियमों के रूप में बनाए रखना आवश्यक नहीं है”। इसमें यह भी कहा गया है कि इनमें से 65 संशोधन एक्ट हैं, जिनके बदलाव पहले ही मूल अधिनियमों में शामिल किए जा चुके हैं।
कौन-कौन से एक्ट शामिल?
रद्द किए जा रहे अन्य कानूनों में भारतीय ट्रामवे एक्ट, 1886, लेवी चीनी मूल्य समतुल्यकरण निधि एक्ट, 1976 और भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड (कर्मचारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण) एक्ट, 1988 शामिल हैं।
इसमें आगे कहा गया है, “बिल चार एक्ट में संशोधन भी करता है। यह जनरल क्लॉज एक्ट 1897 और सिविल प्रोसिजर कोड, 1908 में संसोधन करता है, जिससे रजिस्टर्ड डाक के लिए शब्दावली अपडेट की जा सके। इंडियन सक्शेसन एक्ट, 1925 में कुछ मामलों में कोर्ट द्वारा वसीयत के वेरीफिकेशन की जरूरत को खत्म करने के लिए संशोधन किया जा रहा है। बिल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 में एक मसौदा त्रुटि को सुधारने के लिए भी संशोधन करता है”
विपक्ष ने उठाए सवाल
भाजपा सांसद ने इस कदम का समर्थन किया और कहा कि पुराने कानून को खत्म किया जाना चाहिए। इधर विपक्ष ने बिल पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कुछ हाल ही में पास कानून को निरस्त किया जा रहा है।
कांग्रेस के डीन कुरियाकोस ने पूछते हुए कहा, “सरकार 24 महीने पहले पारित कानूनों को भी रद्द कर रहे हैं। ये किस तरह का नाटक है?” उन्होंने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत, बिल में “रोकथाम” शब्द को “तैयारी” से बदलने का प्रस्ताव है।
आगे उन्होंने कहा, “इसका क्या महत्व है? क्या हम यह संकेत दे रहे हैं कि राज्य रोकथाम को छोड़ रहा है? सरकार रोकथाम को कमजोर कर रही है।”
समाजवादी पार्टी (एसपी) के लालजी वर्मा ने कहा,”सरकार बुलेट ट्रेन की तरह जल्दबाजी में बिल पास करती है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) का नाम बदल दिया। इनमें से कई कानून 2016 और 2023 के बीच लाए गए थे। मंत्री जी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ये आज अप्रचलित क्यों हैं।”
