Lok Sabha Chunav 2024: अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला आम चुनाव हुआ। श्रीनगर लोकसभा सीट पर तीन दशकों में सबसे ज्यादा 38 फीसदी वोटिंग हुई। यह राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी चर्चा का विषय बन गया है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि कश्मीर की बाकी दो लोकसभा सीटों पर 20 और 25 मई को कितने प्रतिशत वोटिंग होगी। क्या पहले के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो पाएंगे।
बारामूला और अनंतनाग में भी अब रिकॉर्ड मतदान की उम्मीद जताई जा रही है। जम्मू प्रांत के इलाकों को अब अनंतनाग में शामिल करने के साथ ही कश्मीर में कुल मतदान 50% का आंकड़ा पार करने की उम्मीद है। यह साल 1996 के इलेक्शन से भी ज्यादा होगा। बुधवार को एक समाचार पत्र को दिए गए इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 370 रद्द करने के बाद कश्मीर में शांतिपूर्वक मतदान हो सका।
श्रीनगर में मतदान लोगों की हताशा को दिखाता है- महबूबा मुफ्ती
दूसरी तरफ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों ने कहा है कि श्रीनगर में मतदान घाटी के लोगों की दबी हुई हताशा को दिखाता है। पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को दक्षिण कश्मीर में एक चुनावी रैली में कहा कि 5 अगस्त, 2019 को की गई कार्रवाई को अस्वीकार करने की इच्छा और घुटन की भावना से प्रेरित होकर श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग उमड़े।
महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। यहां पर उनका मुकाबला वरिष्ठ गुज्जर नेता और नेकां के दिग्गज नेता मियां अल्ताफ और अपनी पार्टी के जफर इकबाल मन्हास के साथ है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि 25 मई को ज्यादा से ज्यादा मतदान करें। महबूबा मुफ्ती ने कहा ‘मैं अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से अपील करती हूं कि भले ही आपको कतार में 10 घंटे लग जाएं, लेकिन अपना वोट डाले बिना घर न लौटें।’
अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर वोटिंग की तारीख बदली
पहले इस सीट पर मतदान तीसरे फेज में यानी 7 मई को होने वाला था लेकिन मौसम और अन्य कारणों की वजह से चुनाव को स्थगित कर दिया गया और डेट में बदलाव कर दिया गया। पीडीपी और नेशनल कांन्फ्रेंस ने डेट में बदलाव को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के लिए चुनावों को और मुश्किल बनाने के लिए यह केंद्र सरकार की चाल है।
वहीं, अधिकारियों और पार्टी नेताओं ने निजी तौर पर कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि श्रीनगर में मतदान ज्यादा होगा। लगभग छह सालों से केंद्र के शासन में रहने वाली जनता में वोट देने के लिए साफ तौर पर उत्साह था। रैलियो में युवाओं की भीड़ ज्यादा देखने को मिली थी। पिछले सालों के उलट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, जमात-ए इस्लामी या आतंकवादी समूहों जैसे अलगाववादी संगठनों द्वारा चुनाव बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं किया गया था।
श्रीनगर में कितने फीसदी हुई वोटिंग
13 मई को श्रीनगर सीट में आने वाले पांच जिलों श्रीनगर, गांदरबल, पुलवामा और बडगाम और शोपियां के कुछ हिस्सों में मतदान पिछले आंकड़ों को पार कर गया। श्रीनगर जिले में 24.71% मतदान हुआ, जबकि 2019 में यह 7.7% था, पुलवामा 42%, पिछली बार केवल 2% के मुकाबले, जब यह अनंतनाग सीट का हिस्सा था, गांदरबल, 53.02% (2019 में 17.6%), बडगाम 52% (2019 में 21.5%), और शोपियां 47% (2019 में 2.88%) फीसदी ही था।
बारामूला, जहां सोपोर और बारामूला विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर हमेशा कश्मीर के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा सं संख्या में मतदान हुआ है। यहां पर भी हाई-वोल्टेज मुकाबले को देखते हुए ज्यादा वोटिंग होने की संभावना है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का मुकाबला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन, निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर राशिद और पीडीपी के फैयाज अहमद मीर से है।
मुख्यधारा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मतदान प्रतिशत को अलगाववादी भावना से अलग करके नहीं देखा जा सकता है और यह वास्तव में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने पर लोगों के गुस्से को दिखाता है। एनसी के एक नेता ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले दो चरणों में मतदान और बढ़ेगा क्योंकि यह विशेष दर्जे को रद्द करने के खिलाफ वोट है। नेता ने कहा कि श्रीनगर में मतदान से दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में भी उत्साह बढ़ेगा।