लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन को लेकर कई सवाल सियासी चर्चाओं में हैं। एक अहम सवाल यह है कि क्या बसपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा होगी? माना जा रहा है कि कांग्रेस बसपा को गठबंधन में शामिल करना चाहती है लेकिन समाजवादी पार्टी ऐसा नहीं चाहती है। हालांकि बसपा की ओर से इस सवाल का कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया गया है।
पिछले महीने इंडिया गठबंधन की एक मीटिंग के दौरान सपा ने कांग्रेस से यह तय करने के लिए कहा था कि क्या वह लोकसभा चुनावों के लिए बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती है या नहीं। इस चर्चा के सामने आने के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने पलटवार करते हुए कहा था कि INDIA गठबंधन के सदस्यों को उन पार्टियों के बारे में बात नहीं करनी चाहिए जो उनके सहयोगी नहीं हैं।
क्या हो सकता है मायावती का रुख?
बसपा प्रमुख मायावती के रुख का अंदाजा इस बयान से लगाया जा सकता है, ”विपक्ष के गठबंधन में बसपा सहित जो भी पार्टियां शामिल नहीं हैं उनके बारे में किसी का भी फिजूल की टीका-टिप्पणी करना सही नहीं है। मेरी उन्हें सलाह है कि वह इससे बचें क्योंकि भविष्य में, देश में, जनहित में कब किसको, किस की जरूरत पड़ जाए, कुछ भी कहा नहीं जा सकता।”
बसपा प्रमुख ने कहा, ”टीका-टिप्पणी करने वाले ऐसे लोगों और पार्टियों को बाद में काफी शर्मिंदगी उठानी पड़े यह ठीक नहीं है। इस मामले में समाजवादी पार्टी खासतौर पर इस बात का जीता जागता उदाहरण है।” बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने भी एक्स पर एक पोस्ट में एसपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत गठबंधन में, “कुछ लोग बीजेपी से ज्यादा बीएसपी से डरते हैं”।
बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने भी एक्स पर एक पोस्ट में समाजवादी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन के कुछ लोग बीजेपी से ज्यादा बीएसपी से डरते हैं।
कांग्रेस क्यों चाहती है बसपा का साथ, सपा को क्या दिक्कत है?
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस का मानना है कि बसपा के साथ गठबंधन करने से दलित वोट को मजबूत करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह तय होगा कि मुस्लिम विभाजित ना होकर इंडिया गठबंधन के समर्थन में पड़ेगा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सपा के साथ-साथ एक और बड़ा दल विपक्षी दल का हिस्सा होगा। जबकि समाजवादी पार्टी को लगता है कि उत्तर प्रदेश के प्रातिनिधि के तौर पर गठबंधन में बसपा के आने के बाद उसकी भूमिका हल्की हो जाएगी।
सूत्र बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में मोटे तौर पर सपा कुल 80 में से 65 सीटें अपने लिए चाहती है, 10 सीटें कांग्रेस के लिए और 5 सीटें राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के लिए छोड़ना चाहती है। उत्तर प्रदेश से सीटों का एक बड़ा हिस्सा 2024 में सपा को मजबूत स्थिति में लाएगा और पार्टी के कुछ नेताओं के मुताबिक अखिलेश यादव को भविष्य का प्रधानमंत्री बना देगा। अगर बसपा गठबंधन में शामिल होती है तो यह समीकरण बिगड़ जाएगा, इसलिए भी समाजवादी पार्टी ऐसा नहीं चाहती।
इसका अंदाजा 2019 के चुनाव से लगाया जा सकता है जब 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जबकि बीएसपी की हिस्सेदारी 38 सीटों पर थी। इनमें से 10 पर बसपा ने जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी को 37 सीटों में से सिर्फ 5 सीटें मिलीं थी।
समाजवादी पार्टी यह स्थापति करना चाहती है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मुक़ाबले में मजबूती से खड़ी वही एक पार्टी है। क्यों सपा बसपा का साथ नहीं चाहती इसकी वजह यह भी है कि विधानसभा चुनावों में सपा का प्रदर्शन बसपा से काफी अच्छा था जहां सपा ने 111 जबकि बसपा ने सिर्फ 1 सीट जीती थी। हालांकि फिलहाल चर्चाओं के अलावा बसपा को शामिल करने के बारे में सपा की ओर से किसी तरह का आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।