Christmas 2024: साल में अगले साल लोकसभा चुनाव चुनाव होना है। 2024 को लेकर बीजेपी ने दक्षिण भारत के हर राज्य के लिए अलग रणनीति बनाई है। पूरा देश इस समय क्रिसमस का त्योहार मना रहा है। केरल में क्रिसमस पर अलग ही धूम होती है। केरल में देश के अन्य राज्यों से ज्यादा ईसाई आबादी होने की वजह से यहां क्रिसमस पर ज्यादा उत्साह देखने को मिलता है।

इस बार क्रिसमस को बीजेपी ने अपनी रणनीति का हिस्सा बनाया है। राज्य में बीजेपी के कार्यकर्ता क्रिसमस के मौके पर ईसाई समुदाय के लोगों के घर पहुंच रहे हैं और क्रिसमस विश कर रहे हैं। इरिक्कुर विधानसभा क्षेत्र में BJP के एक मंडल अध्यक्ष अजी कुमार और पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला अध्यक्ष अरुण थॉमस केरल में निकाली जा रही स्नेह यात्रा की कई टीमों में से एक टीम का हिस्सा हैं। दोनों पीएम नरेंद्र मोदी का संदेश लेकर कन्नुर जिले में ईसाई समुदाय के घरों पर पहुंच रहे हैं।

दरअसल बीजेपी का उद्देश्य है कि वो क्रिसमस के मौके पर राज्य में रहने वाले सभी ईसाई समुदाय के घर पीएम नरेंद्र मोदी का संदेश लेकर पहुंचे और पार्टी को लेकर फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश करे। बीजेपी ने केरल में अपनी यह पहल 22 दिसंबर को शुरू की है। यह 31 दिसंबर तक चलेगी।

ईसाई समुदाय से BJP को कैसा रिस्पॉंस मिल रहा है?

अजी कुमार और अरुण थॉमस जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर एरुवेसी में एक छोटे रबर किसान जोसफ उर्फ पप्पाचन के घर पहुंचते हैं। पप्पाचन उन्हें कहते हैं कि वो लंबे समय से कांग्रेस के साथ रहे हैं, ऐसा ही एरिया में रहने वाले अन्य ईसाई समुदाय लोगों का रुख है। वह कहते हैं कि वो PFI पर बैन लगाने के लिए पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। यह राहत देने वाला था।

इस दौरान अरुण थॉमस बीजेपी की वकालत करते हुए कहते हैं, “मोदी देश पर 9 साल से शासन कर रहे हैं। क्या आपको कोई समस्या हुई? अन्य लोग कहते थे कि ईसाइयों को निकाल दिया जाएगा लेकिन भारत अब सभी के लिए सेफ है।”

हालांकि इस दौरान पप्पाचन उनसे मणिपुर में हो रही हिंसा का सवाल करते हैं और बीजेपी नेता उन्हें समझाते हैं कि मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा का इतिहास रहा है। पप्पाचन कहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी को वहां के हालात देखते हुए मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

हालांकि कुछ ही पलों में यह बातचीत रबर पर आ गई। पप्पाचन कहते हैं कि अगर रबर के दाम बढ़ते हैं तो वह निश्चित ही बीजेपी को सपोर्ट करेंगे। वह कहते हैं कि हम यह नहीं चाहते कि रबर के दाम 250 से 300 रुपये किलो हो जाएं, अगर दाम 200 रुपये प्रति किलो भी हो जाएंगे तो उन्हें खुशी होगी। हाल के दिनो में इलाके में रबर का दाम 140 से 150 रुपये प्रति किलो है। एक दशक पहले यह 250 रुपये प्रति किलो था।

अरुण थॉमस इसके लिए पिछली यूपीए सरकार को जिम्मेदार मानते हैं। पप्पाचन को पीएम मोदी की तस्वीर वाला क्रिसमस ग्रिटिंग कार्ड थमाने से पहले वह कहते हैं कि कांग्रेस ने रबर किसानों को खत्म कर दिया। इसके बाद थॉमस और अजी कुमार अगले घर की तरफ बढ़ जाते हैं।

एरुवेसी पंचायत इरिक्कुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, यहां सिर्फ कांग्रेस को ही चुनावी सफलता मिली है। इस विधानसभा में बीजेपी चैलेंजिंग प्लेयर भी नहीं है। यहां ईसाई वोटर्स की अच्छी तादाद है, वह खेती करते हैं और कैथोलिक चर्च से संबंध रखते हैं। यहां 93 बूथों में से सिर्फ 25 पर बीजेपी के पास पूरी टीम है और 74 बूथ पर वह मौजूद है।

हालांकि अब यहां बीजेपी कांग्रेस और ईसाई समुदाय के बीच बढ़ती दूरी का फायदा उठाना चाहती है। मणिपुर में हुई हिंसा ने बीजेपी के इस इरादे को नुकसान पहुंचाने का काम किया है लेकिन फिर भी पार्टी अन्य मुद्दों के जरिए उनसे नजदीकी बनाने का प्रयास कर रही है।

हाल ही में इजरायल और हमास के बीच हुआ संघर्ष उन्हीं विवादों में से एक है। बीजेपी का मानना है कि राज्य के ज्यादतर ईसाई सत्ताधारी सीपीआई (एम) और विपक्षी कांग्रेस के फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े होने से खुश नहीं हैं। इरुवेसी पंचायत में आने वाले चेम्पेरी में ईसाई समुदाय के लोगों ने BJP के समर्थन से इज़रायल के साथ एकजुटता का संकल्प लेने के लिए एक रैली निकाली थी।

रबर के दाम बेहद महत्वपूर्ण

इलाके में रबर के दाम एक बड़ा विषय है। इस साल की शुरुआत में कन्नुर जिले में टेलिचेरी के आर्कबिशप जोसेफ पैम्प्लानी ने कहा था कि अगर बीजेपी रबर के दाम बढ़वाने में मदद करेगी तो ईसाई उसका समर्थन करेंगे। यह मांग राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी जोर पकड़ रही है। रबर के व्यापारी थॉमस अनाथक्कट्टू जिनके घर पर बीजेपी के दोनों नेता- अजी कुमार और अरुण थॉमस गए थे, बताते हैं कि रबर के किसानों ने बीजेपी से उम्मीदें लगाई हुई हैं।

वो कहते हैं कि इलाके में रहने वाले बड़ी संख्या में ईसाई लोग, जो पहले कांग्रेस के साथ जुड़े थे, उन्हें अब बीजेपी से उम्मीदे हैं। हालांकि इस दौरान वह यह भी समझाते हैं कि क्षेत्र के लोगों का यह मानना है कि पीएम मोदी फिर से सत्ता में लौटेंगे लेकिन फिर भी यहां लोग बीजेपी को वोट सिर्फ इसलिए नहीं देंगे क्योंकि उन्हें इस बात की कम उम्मीद है कि पार्टी केरल में अच्छा प्रदर्शन करेगी। वो कहते हैं, “भले ही बीजेपी सरकार ने कई मुद्दों पर डिलीवर किया है लेकिन लोग सोचते हैं कि ऐसी पार्टी को वोट देने का क्या फायदा जिसके जितने के कम चांस हैं।”

मुस्लिम तुष्टिकरण भी बन रहा विषय?

इसके बाद बीजेपी की टीम टोमी पुथियेदथुपराम्बिल के घर जाती है। वह कहते हैं कि ईसाई समुदाय के लोगों को अपने प्रति CPI(M) और कांग्रेस के रुख से चिंता है। वो कहते हैं, “इजरायल – हमास संघर्ष के दौरान केरल में मुस्लिम तुष्टीकरण हुआ। CPI(M) और कांग्रेस मुस्लिमों को रिझाने के लिए होड़ कर रही थीं। इससे हमें यह आभास हुआ कि ये दल ईसाई समुदाय का समर्थन नहीं करेंगे।”

जब बीजेपी की टीम टैक्सी चलाने वाले सुनि एडापाराम्बिल के घर पहुंचती है तो वह उनसे उत्तर भारत के राज्यों में चर्चों और ईसाइयों से संबंधित संस्थानों के बारे में सवाल करते हैं। अजी कुमार उन्हें समझाते हुए कहते हैं कि हम सभी भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं और ऐसे हमलों को किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता है।

स्नेह यात्रा के दौरान बीजेपी के दो और लोकल नेता रेन्जिथ वीवी और बेनी ऑगस्टीन इस टीम से जुड़ते हैं। जितने भी घरों पर वो जाते हैं, लोगों से पीएम मोदी के 9 सालों के शासन के बारे में सवाल करते हैं। वे जिस भी किसान के घर जाते हैं, वहां पूछते हैं कि क्या उन्हें पीएम किसान सम्मान निधि और अन्य केंद्रीय योजनाओं के तहत दी जाने वाली राशि मिल रही है।