Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मंच तैयार हो चुका है। अगले साल मार्च में शुरू होने वाले आम चुनाव में छह महीने बचे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी ताकत दिखाने के लिए युद्धस्तर पर कोशिशें शुरू कर दी हैं। यहां तक कि वह नए साझेदारों को लुभाने के साथ-साथ बिछड़े हुए सहयोगियों को भी वापस लाने की कोशिश कर रही है। सियासी युद्ध में दूसरी तरफ विपक्ष है, जिसने अपनी सेना तैयार कर ली है, क्योंकि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ताकतों वाली 26 पार्टियां अपने मतभेदों को दूर करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए एकजुट होने का प्रयास कर रही हैं।

हालांकि, आम जनता द्वारा मतदान करते वक्त लड़ाई का स्वरूप क्या होगा, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है – विपक्षी दलों ने अभी तक अपने नेता या सीट-बंटवारे की योजना का खुलासा नहीं किया है। वहीं इस आम सहमति के केंद्र में यह स्वीकारोक्ति है कि अगर भाजपा एक राज्य-वार योजना तैयार करे जो सही उम्मीदवार के चयन पर केंद्रित हो तो उसे हराया जा सकता है।

इनमें से कुछ प्रमुख राज्यों में किए गए ओपिनियन पोल से पता चलता है कि विपक्ष की योजनाएं अपर्याप्त साबित हो सकती हैं। यह सर्वेक्षण टाइम्स नाउ-ईटीजी द्वारा 22 अप्रैल से 15 जून के बीच किया गया था, इससे एक सप्ताह पहले संयुक्त विपक्ष ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पटना में अपनी पहली संयुक्त बैठक की थी। सर्वे में 1.35 लाख लोगों ने हिस्सा लिया।

सर्वे के जो नतीजे आए हैं उससे पता चलता है कि भाजपा अगले साल मार्च-अप्रैल में होने वाले चुनावों में जोरदार जीत दर्ज कर सकती है। जिन राज्यों में सर्वे किया गया उनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड शामिल हैं। विशेष रूप से इनमें से तीन राज्यों में अब से तीन महीने से भी कम समय में चुनाव होंगे।

महाराष्ट्र, जहां पिछले पांच वर्षों में कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। वहां लोकसभा की 48 सीटें हैं, जो उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, भाजपा के नेतृत्व वाला राजग 22-28 सीटें जीत सकता है, जबकि कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राकांपा के शरद पवार गुट को 18-22 सीटें मिल सकती हैं।

सर्वे के निष्कर्षों से पता चलता है कि इसी तरह राजस्थान में एनडीए राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 20-22 जीतकर भारी जीत दर्ज कर सकती है। वहीं कांग्रेस को 3-5 और अन्य को 1 से 2 सीटें मिल सकती हैं।

माना जाता है कि बिहार राज्य, जिसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गठबंधन पर चर्चा के लिए सभी विपक्षी नेताओं को एक मेज पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वहां राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 22-24 सीटें मिल सकती हैं। जदयू और राजद का सत्तारूढ़ गठबंधन 16-18 सीटों पर सिमट सकता है। बिहार में होने वाली घटनाएं महत्वपूर्ण हैं क्योंकि लालू-नीतीश गठबंधन का मानना ​​है कि राज्य में एनडीए पर उसका पलड़ा भारी है।

मध्य प्रदेश जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां पीएम मोदी की लोकप्रियता से बीजेपी को चुनाव में 22-24 सीटें जीतने में मदद मिल सकती है। वहीं, सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 5-7 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। हिंदी पट्टी का एक महत्वपूर्ण राज्य एमपी लोकसभा में 29 सांसद भेजता है।

छत्तीसगढ़, एक और राज्य जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां एनडीए को राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से 6-8 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस 3-5 सीटों पर सिमट सकती है। सर्वे के अनुसार, झारखंड में भी ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जहां एनडीए को 14 में से 10-12 सीटें मिल सकती हैं, जबकि विपक्ष खुद 2-4 चार सीटों के बीच में सिमट सकता है।

भाजपा को ममता बनर्जी शासित पश्चिम बंगाल में भी उम्मीद की किरण नजर आ रही है। संभवत: वह राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18-20 सीटें जीत सकती है और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से थोड़ी पीछे रह सकती है, जिसे अगले लोकसभा चुनाव में 20-22 सीटें मिल सकती हैं।

विपक्ष की अधिकतर प्लानिंग इस तथ्य पर टिकी है कि 2019 में कुछ राज्यों में भाजपा पहले ही एक अलग स्थिति पर पहुंच चुकी थी, लेकिन इस बार उसी प्रदर्शन को दोहराने की संभावना बहुत कम है। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी को एमपी में 29 में से 28 सीटें, राजस्थान में 25 में से 24 सीटें, महाराष्ट्र में 48 में से 41 सीटें (अविभाजित शिवसेना के साथ), बिहार में 40 में से 39 सीटें (नीतीश के साथ) मिलीं। पश्चिम बंगाल में 18 सीटें, छत्तीसगढ़ में 9 सीटें और झारखंड में 11 सीटें मिली थीं।