केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में अपने अभियान की शुरुआत एक बाइक रैली के साथ की। केरल की राजधानी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के सामने चंद्रशेखर के उतरने से मामला त्रिकोणीय हो गया है। यह आगामी लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले दिलचस्प मुकाबलों में से एक होगा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर 2009 से तिरुवनंतपुरम सीट जीत रहे हैं। अब उन्हें कांग्रेस द्वारा चौथी बार उम्मीदवार बनाया जाना तय है। सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने सीपीआई नेता पन्नियन रवींद्रन को इस निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा है, जिन्होंने 2005 में यहां जीत हासिल की थी।
राजीव चंद्रशेखर और थरूर दोनों ही हाई-प्रोफाइल चेहरे
तिरुवनंतपुरम सीट से उतरने वाले 59 वर्षीय राजीव चंद्रशेखर और 67 वर्षीय थरूर दोनों ही हाई-प्रोफाइल चेहरे हैं। दोनों ही सौम्य और स्पष्टवादी नेता हैं जो अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर 78 वर्षीय रवींद्रन खुद को एक दलित चेहरे के रूप में पेश कर रहे हैं।
भाजपा को विश्वास है कि उसने एक ऐसा उम्मीदवार खड़ा किया है जो थरूर के कद के बराबर खड़ा हो सकता है। थरूर की तरह चंद्रशेखर के पास भी एक वैश्विक दृष्टिकोण है। वह जुलाई 2021 से आईटी और कौशल विकास राज्य मंत्री हैं। वह सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े एक प्रौद्योगिकी उद्यमी भी रहे हैं।
शशि थरूर केरल में सबसे लोकप्रिय कांग्रेस नेताओं में से एक
भाजपा का मानना है कि महत्वकांक्षी निर्वाचन क्षेत्र तिरुवनंतपुरम के लिए चंद्रशेखर उसका सबसे अच्छा दांव हैं। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व राजनयिक शशि थरूर केरल में सबसे लोकप्रिय कांग्रेस नेताओं में से एक हैं, जिनकी छवि अक्टूबर 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रपति चुनाव में असफल होने के बाद भी और अधिक चमक गई थी। यहां तक कि 2014 के चुनावों में भी जब उन्हें अपने सबसे कठिन चुनावों में से एक का सामना करना पड़ा था, अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर के निधन के बाद चुनौतियों के बीच थरूर अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।
शशि थरूर ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “उन्हें विश्वास है कि 2009 से एक सांसद के रूप में उनका ट्रैक रिकॉर्ड इस चुनाव में भी उनकी सबसे बड़ी संपत्ति होगी।” थरूर ने कहा, “मैंने 2009 में यह सीट उन कम्युनिस्टों से ली थी जिन्होंने पिछले दो चुनाव जीते थे। अब यह त्रिकोणीय चुनाव है और मैं किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेता।”
अपने रिकॉर्ड पर गर्व है- थरूर
तिरुवनंतपुरम चुनाव की चर्चाओं पर थरूर ने कहा, “मैं उन दोनों उम्मीदवारों का स्वागत करता हूं जिनके नाम उनकी संबंधित पार्टियों द्वारा घोषित किए गए हैं और मैं अपनी पार्टी की घोषणा का इंतजार कर रहा हूं।”
थरूर ने यह भी कहा कि उन्हें उन संसाधनों की चिंता नहीं है जो भाजपा और चंद्रशेखर अपने अभियान के लिए जुटाएंगे। उन्होंने कहा, “2014 और 2019 में भाजपा ने बहुत अधिक खर्च किया है। उनके पास बहुत फंड हैं लेकिन सच तो यह है कि आख़िरकार लोग केवल पैसे से नहीं बल्कि उम्मीदवारों की अपील से प्रभावित होते हैं। मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र में विभिन्न विकास पहल करने और सैकड़ों याचिकाओं और अनुरोधों पर काम करने के अपने रिकॉर्ड पर गर्व है।
केरल में बीजेपी कभी भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई
केरल में बीजेपी कभी भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है। विधानसभा चुनावों में पार्टी तिरुवनंतपुरम जिले के नेमम से केवल एक बार जीती, जहां ओ राजगोपाल ने 2016 में जीत हासिल की थी। चंद्रशेखर की बड़ी चुनौती अपने प्रतिद्वंदी के सामने अपनी जगह बनाना होना क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार पहले से ही बेल्ट में जाने-पहचाने चेहरे रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर रवींद्रन की छवि एक सामान्य व्यक्ति की है। जहां थरूर और चंद्रशेखर दोनों ऊंची जाति के नायर हैं, वहीं एलडीएफ उम्मीदवार पिछड़े समुदाय से हैं। एक वामपंथी नेता ने कहा, “रवींद्रन एक दलित व्यक्ति हैं और वह तथाकथित टाइटन्स के बीच विजेता बनकर उभरकर दूसरों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं।” हालांकि, उनकी पार्टी की घोषणा से पहले रवींद्रन का यह बयान कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनकी उम्मीदवारी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।