Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी को उम्मीद है कि उसे पश्चिम बंगाल (BJP in West Bengal) से इस बार ज्यादा सीटें मिलेंगी। इसकी बानगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के ताबड़तोड़ बंगाल दौरे ही हैं लेकिन अहम बात यह है कि बीजेपी को लगातार यहां आंतरिक तौर पर ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पार्टी से नाराज बड़े नेता अब TMC का रुख करने लगे है और सत्ताधारी दल टीएमसी इसे BJP के सियासी खात्मे की शुरुआत के तौर पर पेश कर रही है।
लोकसभा चुनावों से ठीक पहले एक तरफ जहां देश के अन्य राज्यों में बीजेपी विपक्षी दलों के विधायकों से लेकर सांसदों पूर्व मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों का पार्टी में शामिल कर रही है, तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में उसके अपने ही नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। पिछले हफ्तें सांसद कुनार हेम्ब्रम ने पार्टी छोड़ी थी और फिर एक विधायक ने भी भगवा पटका उतार कर टीएमसी जॉइन कर ली थी।
अहम बात यह है कि अब मोदी सरकार में राज्य मंत्री जॉन बारला ने भी पार्टी छोड़ने के संकेत दे दिए हैं। उन्होंने पार्टी में अपनी अनदेखी होनी की बात कही है और आलाकमान के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है। दूसरी ओर बीजेपी नेताओं का टीएमसी में शामिल होना सत्ताधारी दल टीएमसी के जोश को और बढ़ा रहा है।
संदेशखाली पर बीजेपी ने की माहौल बनाने की कोशिश
संदेशखाली मुद्दे पर बीजेपी लगातार टीएमसी को घेर रही है। प्रधानमंत्री खुद संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से मिले थे और कई विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया था। इन सबके बीच भगवा दल के नेताओं का टीएमसी की ओर रुख करना मनोवैज्ञानिक तौर पर और परसेप्शन की लड़ाई के लिहाज से टीएमसी को ताकत दे रहा है।
बता दें कि हाल ही में सांसद कुनार हेम्ब्रम ने बीजेपी छोड़ी थी। वे झारग्राम से सांसद थे। उन्होंने शनिवार को कहा था कि वह सामाजिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राजनीति से दूर जा रहे हैं। सूत्रों ने जानकारी दी है कि वे इंजीनियर से नेता बने थे और बीजेपी इस बार उन्हें जंगलमहल की आदिवासी सीट से टिकट देने के मूड में नहीं थी, जिसके चलते पहले ही उन्होंने राजनीतिक संन्यास का ऐलान कर दिया था।
मटुआ आबादी के वोट बैंक पर भी सेंध?
इसके अलावा बीजेपी विधायक मुकुट मणि अधिकारी भी शुक्रवार को बीजेपी में शामिल हो गए थे, अहम बात यह है कि वे मटुआ कम्युनिटी से आते हैं और बीजेपी उनके जरिए अपना बड़ा मटुआ वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रही थी। पार्टी के लिए समस्या यह भी है कि करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस समुदाय पर इस बार टीएमसी भी ज्यादा फोकस कर रही है।
बीजेपी के अंत की शुरुआत
लगातार नेताओं का बीजेपी छोड़ना और इस बीच केंद्रीय राज्य मंत्री बराला का पार्टी के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार करना टीएमसी को उत्साहित कर रहा है। इसके चलते ही टीएमसी यह दावा कर रही है कि नेताओं का पार्टी छोड़ना बीजेपी के खात्मे की शुरुआत है। बराला की नाराजगी बता रही है कि बंगाल बीजेपी में आंतरिक तौर पर काफी टकराव है क्योंकि विधायक मनोज टिग्गा को पार्टी ने लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया है। नॉर्थ बंगाल में बीजेपी का यह आंतरिक टकराव पार्टी को मुश्किलों में डाल सकता है क्योंकि इस क्षेत्र में 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी टीएमसी का सफाया कर दिया था।
ऐसे में साल 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नॉर्थ बंगाल में बीजेपी का आंतरिक टकराव पार्टी को मुसीबत में डाल सकता है और यह सीधे तौर पर टीएमसी के वोट बैंक को विस्तार दे सकती है।