Lok Sabha Election 2019: मालेगांव बम धमाकों में नाम आने के बाद चर्चा में रही साध्वी प्रज्ञा एक बार से खबरों में हैं। इस बार साध्वी राजनीति में आने को लेकर चर्चा में हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश की प्रतिष्ठित भोपाल संसदीय सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया। कटे हुए बाल और गले में रुद्राक्ष की माला व भगवा कपड़े पहनने वाली 48 वर्षीय साध्वी को सहज ही पहचाना जा सकता है।
साध्वी प्रज्ञा दक्षिणपंथी अतिवाद का उस समय चेहरा बन कर उभरीं जब महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने साल 2008 में उन्हें मालेगांव बम धमाके मामले में हथकड़ियां पहना दीं थीं। 9 साल जेल में रहने के बाद इस बहुर्चिचत मामले में वह इन दिनों जमानत पर चल रही है।
इतिहास में एम ए प्रज्ञा ठाकुर का जन्म मध्य प्रदेश में भिंड जिले के कछवाहा में हुआ था।
प्रज्ञा के पिता का नाम चंद्रपाल सिंह आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। पिता के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने के कारण प्रज्ञा भी का भी संघ से लंबा नाता रहा है। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों से ही भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी में भी काम किया है।
साध्वी के भाषण देने की कला के लोग बहुत कायल थे। अपनी इस खूबी के कारण ही वह कैंपस में काफी लोकप्रिय हो गई थीं। बताया जाता है कि शुरू में इनके भाषणों का प्रभाव भोपाल, देवास और जबलपुर में काफी देखने को मिला। इसके बाद अचानक प्रज्ञा ने एबीवीपी छोड़कर साध्वी बन गईं। इसके बाद उन्होंने प्रवचन करना शुरू कर दिया।
उन्होंने सूरत को अपनी कार्यस्थली बना लिया। इसके बाद सूरत में साध्वी प्रज्ञा ने अपना आश्रम भी बनवा लिया। इसके बाद चुनावी मौसम में भाजपा ने साध्वी को अपना स्टार प्रचारक भी बनाया।
जेल में ही हो गया था ब्रेस्ट कैंसरः 29 सितम्बर, 2008 को मालेगांव में हुये धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 जख्मी हो गये थे। इस घटना में एक मोटरसाइकिल पर विस्फोटक बांध कर धमाका किया गया था। इसके बाद साध्वी को गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में ही साध्वी के ब्रेस्ट कैंसर हो गया था।
इसका इलाज 2016-17 में चला। 27 दिसम्बर, 2017 में एनआईए अदालत ने उनके खिलाफ सख्त मकोका कानून (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत लगे आरोपों को हटा दिया था। इस धमाके के मामले में साध्वी के अलावा कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी और अन्य आरोपियों को भी राहत दे दी गई थी। एनआईए उन्हें इस मामले में क्लीनचिट दे चुकी है।
(इनपुटः भाषा)
