लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपनी कैंपेन को धार देने के लिए नामी विज्ञापन कंपनियों की सेवा लिए हुए है। लेकिन, काफी वक्त बीत जाने के बाद भी विज्ञापन के बड़े-बड़े धुरंधर बेस्ट आइडिया देने में नाकाम रहे। उनके दिए गए तमाम नारों का असर जनता पर नहीं हो पाया। लेकिन, नरेंद्र मोदी ने ऐसा सुपर वन-लाइनर दिया, जिससे न सिर्फ कैंपेन को धार मिल गई, बल्कि विपक्ष के द्वारा किए जा रहे हमले भी कमजोर पड़ गए। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपे कोमी कपूर के एक कॉलम ‘इनसाइड ट्रैक’ में इस बात का जिक्र किया गया है कि बीजेपी के प्रचार के लिए विज्ञापन की दुनिया के बड़े नाम फेल हो गए, लेकिन मोदी के द्वारा कही गई एक लाइन ‘मैं भी चौकीदार हूं’ का आइडिया सभी पर भारी पड़ गया।
कोमी कपूर लिखती हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए विज्ञापन बनाने वाले प्रोफेशनल्स ने सबसे पहले ‘नामुमकिन अब मुमकिन है’ का नारा दिया। लेकिन, सरकार द्वारा किए गए कामों के विज्ञापनों के इस कैच-लाइन में कहीं भी पार्टी या प्रधानमंत्री का नाम शामिल नहीं था। लेकिन, जब फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली को संबोधित किया तो इस दौरान उन्होंने इस नारे को थोड़ा और केंद्रित करते हुए इसमें एक बदलाव कर दिया- “मोदी है, तो मुमकिन है”। हालांकि, इस नारे ने लोगों पर कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ा।
इसी दौरान प्रधानमंत्री ने एक और तरुप का पत्ता चला और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोप “चौकीदार चोर है” के जवाब में “मैं भी चौकीदार हूं” का नारा सामने लाकर खड़ा कर दिया। इस एक लाइन ने देखते ही देखते लोकप्रियता हासिल कर ली। प्रधानमंत्री के एक ट्वीट के बाद तमाम केंद्रीय मंत्री, पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं ने ट्वीटर आईडी में अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ने लगे। ‘चौकीदार’ 2014 के ‘चाय वाला’ कैंपेन का दूसरा रूप दिखाई पड़ रहा है। तब कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चाय वाला कहा था। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने इसे चालाकी के साथ इसका रुख मोड़ दिया और इसे अमीर व्यक्ति द्वारा किया गया अपमान करार देकर चुनाव को नई दिशा दे दी।
