Lok Sabha Deputy Speaker Post: 23 जून 2013 से लोकसभा का डिप्टी स्पीकर पद खाली है। इस पद पर आमतौर पर विपक्षी दलों का कब्जा रहता है। लोकसभा डिप्टी स्पीकर पद से जुड़ा यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट कई राज्यों की विधानसभाओं के अलावा लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं होने पर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड (CJI DY Chandrachud) के नेतृत्व वाली बेंच ने इस मामले को ‘बहुत जरूरी’ बताते हुए जनहित याचिका से निपटने में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से मशवरा मांगा है। लोकसभा के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड और राजस्थान की विधानसभाओं में भी डिप्टी स्पीकर नहीं है।

लोकसभा के महासचिव और विधानसभा के प्रमुख सचिवों या सचिवों को मामले में पार्टी बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजे गए नोटिस को लेकर सरकार के सूत्रों ने कहना कि अभी इस विषय में प्रतिक्रिया तैयार की जा रही है।

इस मसले पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार लोकसभा में सभी स्थापित प्रथाओं और परंपराओं को नष्ट कर रही है … यह विपक्ष का अधिकार है। परंपरागत रूप से डिप्टी स्पीकर का पद हमेशा विपक्षी दलों के पास रहा है। सरकार चाहे जिस पार्टी को दे दे, लेकिन परंपरा नहीं टूटनी चाहिए।

उन्होंने आगे कि इस बारे में वह लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को कई पत्र लिख डिप्टी स्पीकर नियुक्त करने की मांग कर चुके हैं। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उन्होंने ओम बिड़ला को बताया कि “संवैधानिक जनादेश के अनुसार, नई लोकसभा के गठन के बाद, लोकसभा के डिप्टी स्पीकर के पद को या तो चुनाव या फिर आम सहमति से भरा जाना चाहिए”।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसे ‘लोकतंत्र का मजाक’ बताते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि सरकार देश को लोकतांत्रिक रास्ते पर नहीं चलाना चाहती। इसलिए प्रत्येक लोकतांत्रिक संस्था को नष्ट कर दिया जाता है और रौंद दिया जाता है।

हालांकि इस बारे में जब इंडियन एक्सप्रेस ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया है और समय आने पर इसे किया जाएगा। इस मसले पर लोकसभा अध्यक्ष से जुड़े करीबी सूत्रों ने बताया कि यह विषय “सरकार का विशेषाधिकार” है और “सरकार को इसपर निर्णय लेना है”।