Bihar Assembly Election 2025: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम होने के संकेत मिल रहे हैं। एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने कहा है कि पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहिए। पार्टी के बयान को विपक्षी महागठबंधन के लिए भी एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि चिराग पासवान की पहचान युवा और दलित चेहरे की है।

बताना होगा कि खुद चिराग पासवान ने भी हाल ही में एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वह बिहार पर फोकस करना चाहते हैं और केंद्र में ज्यादा वक्त नहीं बिताना चाहते। पासवान ने कहा था, “मेरी राजनीति की बुनियाद ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ पर आधारित है। मेरा राज्य मुझे बुला रहा है। मेरे पिता रामविलास पासवान केंद्रीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता बिहार है। मैं केंद्र में लंबे वक्त तक नहीं रह सकता।”

पासवान का यह बयान सामने आने के बाद से ही बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी राजनीतिक सक्रियता बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन अब The Hindu से बात करते हुए उनकी पार्टी के सांसद अरुण भारती ने इसका समर्थन किया है।

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अरुण भारती ने अखबार के साथ बातचीत में कहा कि विधानसभा चुनाव लड़कर बिहार की राजनीति में आने का यह सही वक्त है क्योंकि चिराग पासवान ने हमेशा ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ अभियान पर ही ध्यान केंद्रित किया है। पार्टी सांसद ने कहा कि कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि चिराग पासवान बिहार में अधिक समय बिताएं और यहां की राजनीति में सक्रियता बढ़ाएं।

अरुण भारती चिराग पासवान के रिश्तेदार भी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार का विधानसभा चुनाव न केवल राज्य की सरकार का चुनाव होगा बल्कि यह अगले 25 सालों के लिए भी इस राज्य की दिशा तय करेगा।

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बिहार चुनाव में इसका कितना असर होगा?

अगर चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो इससे राज्य की राजनीति में बदले हुए समीकरण दिखाई दे सकते हैं क्योंकि एनडीए की सरकार को हटाने के लिए महागठबंधन भी बड़ी चुनौती पेश करने जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था लेकिन इस बार वह एनडीए के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।

बिहार में एनडीए के पास लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अलावा एक और बड़े दलित नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का समर्थन है। यह माना जाता है कि चिराग पासवान के साथ दलित समुदाय के पासवान/दुसाध मतदाताओं का अच्छा समर्थन है। बिहार में इस समुदाय की आबादी 5.3 प्रतिशत है। जबकि तीन प्रतिशत से ज्यादा आबादी वाले मुसहर मतदाताओं पर जीतन राम मांझी की अच्छी पकड़ है।

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दलित वोट पर कब्जे की होड़

बिहार में दलित समुदाय की आबादी 20% के आसपास है और इतने बड़े वोट बैंक को अपने साथ लाने के लिए एनडीए और महागठबंधन पूरी ताकत लगा रहे हैं। कांग्रेस ने इसे देखते हुए ही दलित समाज से आने वाले राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।

बीजेपी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती को लेकर कई आयोजन कर रही है तो जेडीयू ने भी दलित समाज को लेकर हाल ही में कई कार्यक्रम किए हैं। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में 38 सीटें दलित समुदाय के लिए आरक्षित हैं।

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