लॉकडाउन और कंटेनमेंट जोन्स भी अब कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने में बेअसर साबित हो रहे हैं। तकरीबन एक दर्जन राज्यों में जुलाई माह के कोरोना के आंकड़े देखने पर तो ऐसा ही लग रहा है। आंकड़ों के अनुसार, अनलॉक 2.0 के दौरान जुलाई में इन राज्यों में लॉकडाउन लगाने और कंटेनमेंट जोन्स में कड़ी पाबंदी रखने के बावजूद यहां ग्रोथ रेट, संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने का समय और टेस्ट किए गए लोगों में पॉजिटिव पाए जाने की दर के मामले में पिछड़ते जा रहे हैं।

जिन राज्यों में हालात बिगड़ रहे हैं, उनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, केरल, मध्य प्रदेश, झारखंड और त्रिपुरा का नाम शामिल है। इनके अलावा राजस्थान, पंजाब और चंडीगढ़ में भी स्थिति खराब हुई है।

आंध्र प्रदेश की बात करें तो यहां सरकार ने 18 जुलाई से 14 दिन का पूर्ण लॉकडाउन लगाया था। इसके बावजूद स्थिति ये है कि राज्य में देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस के मामले में यह राज्य दूसरे नंबर पर है। राज्य के सभी 13 जिले माहमारी की चपेट में हैं। जुलाई में आंध्र प्रदेश में कोरोना का ग्रोथ रेट 7.42 फीसदी है, जो कि देश में सबसे ज्यादा है। संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने में अब सिर्फ 9.43 दिन लग रहे हैं।

कर्नाटक में भी सरकार ने जुलाई में एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाया था। इसके बाद भी कर्नाटक में जुलाई अंत तक देश में तीसरे सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। एक जुलाई को कर्नाटक में 16 हजार के करीब मामले थे जो अब बढ़कर एक लाख के ऊपर चले गए हैं।

उत्तर प्रदेश में भी 10 जुलाई से हर हफ्ते दो दिन लॉकडाउन लगाने का फैसला किया गया है। इसके बावजूद जुलाई में राज्य में कोरोना संक्रमण की ग्रोथ रेट 4.16 फीसदी रही है, जोकि जून में 3.50 फीसदी थी। वहीं संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने का समय भी 20 दिन से घटकर 16 दिन हो गया है। राज्य में पॉजिटिविटी रेट भी बढ़कर 3.82 प्रतिशत हो गया है।

बिहार में जून में हालात काफी नियंत्रण में लग रहे थे लेकिन जुलाई के अंत तक यहां भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ गए हैं। राज्य में ग्रोथ रेट 3.14 फीसदी से बढ़कर 5.31 फीसदी हो गई है। संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने का समय 22 दिन से घटकर 13 दिन रह गया है।