स्थानीय निकायों की बिगड़ती वित्तीय स्थिति और आर्थिक संकट को सुधारने के लिए लोकसभा की विशेष समिति ने बांड जारी कर संकट का हल निकालने की सिफारिश की है। यह रिपोर्ट लोकसभा में आवासन और शहरी कार्य संबंधी स्थायी समिति के सभापति जगदम्बिका पाल ने पेश की है। रिपोर्ट में समिति ने माना है कि अम्रुत और स्मार्ट सिटीज मिशन (एससीएम) जैसी योजनाओं में नगर पालिका बांडों के माध्यम से धन जुटाना एक घटक है। वहीं समिति ने वित्तीय मोर्चे पर निकायों की लापरवाही भी पकड़ी हैं।

समिति ने बताया है कि बांड पहल के माध्यम से गाजियाबाद, लखनऊ और 10 अन्य शहरों जैसे विभिन्न निगमों ने क्रेडिट रेटिंग मूल्यांकन किया है और बाजार से धन जुटाने में सफल रहे हैं। हालांकि दिल्ली के निगमों में केवल नई दिल्ली पालिका बांड जारी किए गए हैं। रिपोर्ट में समिति ने बताया है कि इन निगमों की हालत बेहद ही खराब है और इस योजना को दिल्ली के सक्षम अधिकारियों की तरफ से योजना का अनुमोदन नहीं किया है। इसलिए निकाय बांड नीति पर काम कर वित्तीय संकट से उभरने का रास्ता तलाश करें।

स्मार्ट शहरी मिशन में 80 फीसद ने किया धनराशि का प्रयोग : मंत्रालय ने स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत 11 शहर चुने थे। इन शहरों को अब तक केवल पहली किश्त यानी 10 फीसद राशि जारी की गई थी। समिति ने रिपोर्ट में बताया है कि 80 फीसद इस राशि का प्रयोग नहीं कर सके हैं, क्योंकि उन्होंने दूसरे चरण में दावा राशि के लिए दावा ही नहीं किया।

वहीं जांच में यह सामने आया है कि निगमों के पिछले वर्षों के कार्यों के प्रमाणपत्र अभी तक भी प्राप्त नहीं हुए हैं। इसलिए समिति ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक मंत्रालय के पास पहले अनुदान का प्रमाणपत्र न आए, तब तक आगे की राशि निकायों को जारी न की जाए। साथ ही समिति ने अपनी रपट में सिफारिश की है कि भविष्य में परियोजनाओं के निर्माण चरण में ही निर्वाचित प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। इनमें स्थानीय निकाय, विधानसभा और वार्ड स्तर और सांसद सदस्यों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए। इससे निरीक्षण के समय सुचारू संचालन संभव हो सकेगा।