चुनाव आयोग (EC) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी और शुक्रवार को उसे ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया। संगठन पर नियंत्रण के लिए लंबी लड़ाई पर 78 पन्नों के आदेश में आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को राज्य में आने वाले विधानसभा उपचुनाव समाप्त होने तक ‘जलता हुआ मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित करने की अनुमति दी। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए थे जहां चुनाव आयोग को पार्टी के चुनाव चिन्ह आवंटन के मामले में दखल देना पड़ा था।

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का बंगला चिन्ह

पिछली बार ईसीआई ने इसी तरह का फैसला अक्टूबर 2021 में लिया था, जब उसने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के ‘बंगला’ चुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया था। पार्टी जून 2021 में विभाजित हो गई थी। शिवसेना के मामले की तरह उस समय ECI ने यह ध्यान दिया था कि एलजेपी के दो गुटों में से कोई भी उस साल बिहार में होने वाले कुशेश्वर अस्थान और तारापुर सीटों के विधानसभा उपचुनाव में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

समाजवादी पार्टी (साइकिल)

जनवरी 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में गुटबाजी चुनाव आयोग तक पहुंच गई थी, जिसमें पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 2 जनवरी को उनके बेटे अखिलेश यादव के नेतृत्व में समूह द्वारा अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद ‘साइकिल’ चिन्ह पर दावा ठोंक दिया था।

अखिलेश के नेतृत्व वाले धड़े ने भी चुनाव चिह्न पर अपना अधिकार जताने के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। आखिरकार चुनाव आयोग ने अखिलेश को सिंबल सौंप दिया था।

AIADMK (दो पत्ते)

5 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मृत्यु के बाद ओ पन्नीरसेल्वम मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्हें फरवरी 2017 में बाहर कर दिया गया था। भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तारी के साथ जयललिता की सहयोगी शशिकला ने यह सुनिश्चित किया कि उनके चुने हुए पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बनें। अगस्त 2017 में हालांकि, पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी एक साथ आए और शशिकला और उनके सहयोगी दिनाकरण को अन्नाद्रमुक से निष्कासित कर दिया।

उसी समय पार्टी के दोनों गुटों शशिकला-दिनाकरण, पन्नीरसेल्वम-पलानीस्वामी ने AIADMK के दो पत्तियों वाले चुनाव चिह्न पर दावा ठोंक दिया था, जिसके कारण चुनाव आयोग ने प्रतीक को फ्रीज कर दिया था। जिसके बाद 23 नवंबर 2017 को आयोग ने पन्नीरसेल्वम-पलानीस्वामी को दो पत्तियों का प्रतीक आवंटित किया, यह फैसला करते हुए कि उनके गुट को एआईएडीएमके के विधायी और संगठनात्मक विंग में बहुमत का समर्थन प्राप्त था। शशिकला-दिनाकरण गुट ने अपील में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।