प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को टाइम्स नाऊ के एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी के साथ इंटरव्यू में सरकार से जुड़े सभी मुद्दों पर जवाब दिए। उन्होंने सरकार की पाकिस्तान नीति, एनएसजी में दावेदारी, विदेश नीति आदि मुद्दों के साथ सुब्रमण्यम स्वामी की बयानबाजी और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के मामले पर भी चुप्पी तोड़ी। प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने पहली बार भारत में किसी चैनल को इंटरव्यू दिया है। इंटरव्यू का प्रसारण सोमवार (27 जून) शाम को किया गया (देखें Video)। बताया जाता है कि मोदी अब और मीडिया हाउस को भी इंटरव्यू देंगे।
टाइम्स नाउ को दिए गए इंटरव्यू के हाईलाइट्स
कांग्रेस के हंगामे पर: जब लोग विपक्ष कहते हैं तो यह विपक्ष के साथ अन्याय होगा। संसद में कई पार्टियां हैं जो भाजपा या एनडीए के साथ नहीं हैं लेकिन जरूरी मसलों पर सरकार के साथ है। केवल एक पार्टी समस्या खड़ी कर रही है। पूरी दुनिया उस पार्टी को जानती है।
भड़काऊ बयान देने वाले नेता: पहला तो मेरा दृढ़ विश्वास है कि देश को विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ना चाहिए। मैं मीडिया से कहना चाहूंगा कि ऐसे लोगों को हीरो न बनाएं। उन्हें हीरो मत बनाओ वे चुप हो जाएंगे। मैंने ऐसे बयान देखें हैं वे लोग टीवी पर प्रवक्ता बन जाते हैं।
यूपी चुनावों को साम्प्रदायिक रंग देने पर: मैंने 2014 का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा। देश की नई पीढ़ी विकास में विश्वास करती है। मेरा मानना है कि सभी समस्याओं का हल विकास है। यदि हम लोगों को नौकरी देंगे, लोगों को भोजन मिलेगा तो सारा तनाव खत्म होगा।
बैंकों का पैसा न चुकाने वालों के भागने का मुद्दा: कानून सबको पकड़ेगा। देश के लोगों को विश्वास है कि यदि कोई ऐसा कर सकता है तो नरेंद्र मोदी ऐसा करेगा। मैं इसे एक मौके के रूप में देखता हूं और मैं उन्हें दिखाऊंगा कानून क्या होता है।
15 लाख रुपये लोगों के पास आने का मुद्दा: यह मुद्दा विपक्ष के पास रहने दो। कुछ तो उनके पास होना चाहिए।
कालेधन की वापसी: काला धन का मुद्दा इतना गंभीर क्यों हुआ, इसके बैकग्राउंड में जाना होगा। सामान्य आदमी को लगता है कि काला धन विदेश में जाता है। सुप्रीम कोर्ट के एसआईटी बनाने के आदेश को पुरानी सरकार ने तीन साल तक रोककर रखा। उस समय विपक्ष को लगा कि कुछ तो गलत है। दाल में काला है। लेकिन विदेशों से धन लाने के कुछ नियम है। हमारी कैबिनेट का पहला आदेश एसआईटी का गठन था। जी20 में मेरी पहली मीटिंग में काले धन पर पहली बार सहमति का माहौल बना। हम दुनिया के कई देशों से एग्रीमेंट कर रहे हैं। भारत से काला धन बाहर न जाए इस पर भी काम हो रहा है।
स्वामी की बयानबाजी: पब्लिसिटी के शौक गलत है। फिर चाहे व्यक्ति किसी भी पार्टी का हो।
रघुराम राजन: हमारी सरकार आने पर सभी टीवी चैनल्स पर एक सवाल था, क्या नई सरकार रघुराम राजन को रहने देगी। सबको लगता था कि राजन की नियुक्ति पुरानी सरकार ने की है इसलिए उन्हें हटा देगी। लेकिन वे पद पर हैं और अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। रघुराम राजन पर जो लोग सवाल उठा रहे हैं वे अन्याय कर रहे हैं। उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाना गलत है। रघुराम राजन ऐसा इंसान है जो जिस भी वद पर रहेगा देश के लिए काम करेगा।
आतंकवाद: हमें हमारे जवानों के साहस पर गर्व है। वे लगातार आतंकी हमलों को नाकाम कर रहे हैं। अब आतंकी दबाव में हैं। भारत अपने पड़ोसियों से दोस्ती चाहता है। हम शांति चाहते हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों को गरीबी से लड़ना है। हम साथ मिलकर लड़ सकते हैं।
पाकिस्तान नीति: जो भी कदम मैंने उठाए, फिर चाहे वह लाहौर जाना हो या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाना हो, सबने यह दिखाया कि पाकिस्तान के प्रति हमारी नीति में पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है। क्या हमने पाकिस्तान के साथ बातचीत में बाधाएं खड़ी की? अब सभी लोग पाकिस्तान से सवाल कर रहे हैं और पाकिस्तान के लिए जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है। पूरी दुनिया एकमत से पाकिस्तान की नीति पर भारत की प्रशंसा कर रही है। अब तक भारत आतंकवाद की जिस समस्या का सामना कर रहा था उसे दुनिया गंभीरता से नहीं लेती थी। वे उसे लॉ एंड ऑर्डर की समस्या बता देती थी। अब दुनिया ने माना है कि भारत आतंकवाद से जूझ रहा है। यह बड़ी बात है और हमें इस पर आगे बढ़ना होगा।
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एनएसजी में दावेदारी: पहली बात तो यह है कि जो भी सरकार रही उसने इस मुद्दे पर भारत का दावा पेश किया। फिर चाहे वो यूएन सुरक्षा परिषद हो, एमटीसीआर हो या एनएसजी। सबने प्रयास किया। केवल इस सरकार ने प्रयास किया हो ऐसा नहीं। यह सच है कि हमारे कार्यकाल में एमटीसीआर, एससीओ की सदस्यता मिली। एनएसजी में शामिल होने का प्रयास भी सकारात्मक रूप से शुरू हुआ है। चीजें नियम के अनुसार आगे जाएंगी।
चीन के मुद्दे पर: मेरा मानना है कि चीन से बातचीत जारी रहनी चाहिए। विदेश नीति में आप केवल एक देश के साथ बात नहीं कर सकते।
अमेरिका की पाकिस्तान को मदद: प्रत्येक देश का अपना राष्ट्रीय हित होता है। अमेरिका से हमारे रिश्तों में गर्मजोशी हैं। पूरी दुनिया जुड़ी हुर्इ है।
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