अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी सरकार बना ली है। बहुत सारे अफगानी और विदेशी नागरिक वहां से निकल चुके हैं। दूसरे देशों में पहुंचे लोग अब तालिबानियों के पुराने शासन को याद करते हैं और उनकी ‘हैवानियत’ की कहनी बयां करते हैं। भारत में भी रहने वाले बहुत सारे अफगान लोग अपना दर्द बताते हैं। वहीं विपक्ष यह मांग कर रहा है कि मोदी सरकार तालिबान को लेकर अपना रुख स्पष्ट करे। इसी मामले में एक डिबेट के दौरान कुछ अफगान महिलाएं भी मौजूद थीं। उन्होंने अपना दर्द लाइव शो में बताया।

महिला जब तालिबानियों की ज्यादती बयां करने लगी तो पैनलिस्ट शोएब जमई हल्का सा मुस्कुरा दिए। इसपर ऐंकर अमीश देवगन ने उन्हें घेर लिया और कहा कि जब महिला अपना दर्द बयां कर रही थी तो आप क्यों मुस्कुराए? इसपर पैनलिस्ट ने कहा, इनकी पीड़ा मेरे दिल की पीड़ा है। आप इस बात को नहीं समझ पाएंगे। अमीश देवगन ने कहा, जब पीड़ा होती है तो मुस्कुराता कौन है?

जमई ने कहा, मुझे दर्द पता था इसलिए मैं शाहीन बाग आंदोलन में गया था। इसी बीच संबित पात्रा बोल पड़े, आज पता चल र हा है कि सीएए का क्या महत्व है। शोएब ने फिर कहा, हम सरकार से यही मांग कर रहे थे कि सीएए में संशोधन करके अफगानिस्तान के लोगों को जगह दे दीजिए। इसीलिए हमने देश में इतना बड़ा आंदोलन किया था।

वहां मौजूद ऑडियंस में से एक शख्स ने शोएब जमई की बात पर सवाल उठाए तो संबित पात्रा ने कहा, देखिए आपसे कुछ बोल रहे हैं। जमई ने पीछा छुड़ाते हुए कहा, उसको छोड़िए ना। इसके बाद शोएब बार बार कहने लगे, मोदी जी ने तालिबान पर एक भी ट्वीट नहीं किया। मोदी जी का ट्वीट कहां है? मैंने अभी तक उनका ट्वीट नहीं देखा। आप सीएए में संशोधन करके इन्हें नागरिकता दे दीजिए। इनके लिए हमने लाठियां खाईं।

संबित पात्रा ने कहा, आप तो हाफिज सईद को भी ले आएंगे। हमारे लोग अब भी जेलों में बंद हैं। इसके बाद संबित पात्रा ने कहा, इनका मानना है कि मुस्लिमों के लिए भारत सुरक्षित है तभी नागरिकता मांग रहे हैं। इसके बाद यही कहते हैं कि भारत में डर का माहौल है।