रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने पूर्व सैनिकों के मेडल जलाने की कोशिशों को राष्ट्र और सशस्त्र बलों का अपमान बताते हुए शुक्रवार को कहा कि पूर्व सैनिकों को साबित करना चाहिए कि वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) आंदोलन के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार के ओआरओपी योजना पर प्रतिक्रिया और अधिसूचना के बावजूद जारी आंदोलन के पीछे उन्हें कोई राजनीतिक संबंध दिखता है, रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं कुछ कहूंगा तो यह आरोप बन जाएगा। उन्हें साबित करने दीजिए कि यह राजनीतिक नहीं है’। उन्होंने एक दूसरे सवाल के जवाब में कहा, ‘मेडल सशस्त्र बलों के बलिदानों के लिए राष्ट्र द्वारा दिया जाने वाला सम्मान है। उन्हें जलाना या लौटाना राष्ट्र और रक्षा बलों का अपमान है’।

पूर्व सैन्यकर्मियों के ओआरओपी अधिसूचना के पूरी तरह अपनी मांगों के अनुकूल ना होने के आधार पर असंतुष्टि जताने के बाद रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी आई है। सरकार ने पिछले शनिवार को देश के 24 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों और छह लाख शहीदों की पत्नियों के लिए ओआरओपी योजना औपचारिक रूप से अधिसूचित की थी। पर्रीकर ने कहा, ‘मेडल बहादुरी, देश सेवा के लिए दिए जाने वाला सम्मान है। इसका कामकाज की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है जबकि ओआरओपी कामकाज की स्थिति से जुड़ा है। यह ऐसा नहीं कहता कि आप मेडल के हकदार हैं, यह आपके वेतन और भत्ते जैसी कामकाज की स्थितियों की बात करता है’।

पर्रीकर ने आंदोलनकारी पूर्व सैनिकों की शिकायतों के मुद्दे पर कहा, ‘उन्हें न्यायिक समिति के सामने मांगें रखने दीजिए, वे उनपर ध्यान देंगे’। उन्होंने कहा कि ओआरओपी का कार्यान्वयन भाजपा का चुनावी वादा था जिसे पूरा किया गया। इससे पहले रक्षा मंत्री ने चेन्नई से करीब 85 किलोमीटर दूर यहां ‘आइएनएस रजाली’ नौसेना वायु स्टेशन पर बोइंग पी8आई लॉग रेंज मेरीटाइम गश्ती विमान बेड़े के पहले चरण का उद्घाटन किया।

अगले चरण में इस तरह के चार और विमान शामिल किए जाएंगे जिनसे यह 12 अत्याधुनिक निगरानी विमानों का बेड़ा बन जाएगा। आठ पी8आई विमान शामिल करने और विमान के उपकरण का परीक्षण, और सभी आठ विमानों के चालक दल के लिए प्रशिक्षण के साथ पहले चरण की शुरुआत हुई। समारोह में नौसेना प्रमुख आरके धोवन, पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल सतीश सोनी और नौसेना व नागरिक प्रशासन के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।