राजस्थान में जारी सियासी संकट पर अब तक कांग्रेस के लिए कोई खुशखबरी नहीं आई है। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी सचिन पायलट और बागी विधायकों के केस की सुनवाई हो चुकी है। हालांकि, अब तक दोनों अदालतों ने विधानसभा स्पीकर की ओर से विधायकों को जारी नोटिस पर रोक लगा रखी है। इस संकट के बीच कांग्रेस का ध्यान अब अपने दूसरे राज्यों से भी हट रहा है। एक तरफ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एक के बाद एक विधायक टूट रहे हैं, वहीं इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भी पार्टी सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर काम नहीं कर पा रही है।
दरअसल, बिहार में कांग्रेस ने पिछला चुनाव राजद, जदयू और लेफ्ट पार्टियों के महागठबंधन के साथ लड़ा था। इस बार भी कांग्रेस राजद और लेफ्ट पार्टियों के साथ गठबंधन पर विचार करने की बात कह चुकी है। लेकिन अब राजस्थान में उभरे राजनीतिक संकट की वजह से कांग्रेस दूसरी पार्टियों के साथ बात तक नहीं कर पा रही है। लेफ्ट पार्टियां भी चाहती हैं कि राजस्थान में चल रही गहमागहमी अब खत्म हो, ताकि कांग्रेस सीट शेयरिंग पर बात करने के लिए तैयार हो सके। बताया गया है कि इस सिलसिले में लेफ्ट के एक वरिष्ठ नेता ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल से भी मिले हैं।
बताया गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल भी लेफ्ट के एक बड़े नेता से गठबंधन के मुद्दे पर बातचीत कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने साफ संकेत दिए कि कांग्रेस राजस्थान का संकट खत्म होने के बाद ही सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर आगे बात कर सकेगी। बता दें कि सचिन पायलट के कांग्रेस से बगावत के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अहमद पटेल को ही पायलट से बात करने और उन्हें मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। हालांकि, किसी भी तरह की बातचीत शुरू होने से पहले ही बागी विधायकों का मुद्दा हाईकोर्ट चला गया और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पायलट के बीच तलवारें खिंच गईं।