असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हिंदू और मुस्लिमों के बीच कड़वाहट पैदा करने के लिए लेफ्ट-लिबरल और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। सरमा गुवाहाटी में वीर सावरकर पर एक किताब को लेकर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने आज के समय में सावरकर की प्रासंगिकता पर को इंगित किया।
सरमा ने कहा कि आजादी के बाद वाम-उदारवादियों ने भारत के अकादमिक पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया जो विद्रोहियों को पैदा करता है। हमें लड़ने के लिए प्रेरित करता है। वह लोगों के राज्य के प्रति सम्मान को खत्म करने के तरीके तलाशते हैं। उन्होंने शनिवार को कहा कि धर्म का पालन करना खुद को जानने के लिए एक शैक्षणिक गतिविधि है और इसे देश में लोगों के बीच खून-खराबे का कारण नहीं बनना चाहिए।
सरमा ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम के बीच कड़वाहट के लिए लेफ्ट लिबरल जिम्मेदार हैं। कांग्रेस ने अपने वोट बैंक के लिए इस कड़वाहट को बढ़ाने का काम किया। सरमा ने कहा कि महान विभूतियों जैसे स्वामी विवेकानंद, संकरदेव के बारे में स्कूल की किताबों में सही तरीके से बताया जाना चाहिए था। वाम व कांग्रेस का ध्येय लोगों के मन से राष्ट्र का सम्मान खत्म करना था।
मुख्यमंत्री ने सावरकर पर कहा कि वो चाहते थे कि बंटवारा न हो। सभी को समान अधिकार मिलें। उनके मन में नए भारत का खाका था। सीएम का कहना था किराष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है कि लोगों के मन में देश भक्ति की भावना हो। सावरकर के जीवन के देखा जाए तो साफ है कि उनके मन में भारत व भारतवासियों के लिए गहरा प्यार था।
गौरतलब है कि सावरकर को लेकर हाल ही में कई विवादित बयान सामने आ चुके हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सावरकर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाया गया कि उन्होंने अंग्रेज़ों के सामने बार-बार माफीनामा दिया, लेकिन सच्चाई ये है कि क्षमा याचिका उन्होंने खुद को माफ किए जाने के लिए नहीं दी थी, उनसे महात्मा गांधी ने कहा था कि दया याचिका दायर कीजिए. महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने याचिका दी थी।